Swami Prasad Maurya on Brahmin: समाजवादी पार्टी नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) रामचरितमानस (Ramcharitmanas) पर दिए बयान के बाद से चर्चा में बने हुए हैं. इस बीच सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ब्राह्मण समाज पर भी सवाल उठाए हैं, उन्होंने कहा कि जो लोग मेरी टिप्पणी का विरोध कर रहे हैं वो पंडित-पुजारी लोग हैं. क्योंकि उन्हों डर है कि अगर मंदिरों में पूजा नहीं होगी तो हमारा धंधा खत्म हो जाएगा. मेरे इस बयान के बाद सभी पिछ़़डे वर्ग की महिलाएं मंदिर में आना बंद कर देंगी तो चढ़ावा बंद हो जाएगा और उनकी पेट पूजा बंद हो जाएगी. इसलिए वह पागलों की तरह भौंक रहे है. वहीं उन्होंने कहा कि यह मेरा निजी बयान है.


सपा नेता ने यह बयान रायबरेली दौरे पर दिया है. उन्होंने कहा कि मेरे बयान का एक खास वर्ग विरोध कर रहा है, क्योंकि उन्हें डर है कि उनका धंधा अंधेरे में चला जाएगा. रामचरितमानस की चौपाई में शूद्र और नारी को पशु के समान खड़ा कर दिया है.


रामचरितमानस को विदेशों में भी लोग पढ़ते हैं


विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने कहा कि श्रीरामचरित मानस एक ऐसा 'ग्रन्थ' है, जिसे भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोग पढ़ते हैं, और इसका पालन भी करते हैं. रायबरेली के ऊंचाहार से तीसरी बार विधायक चुने गये पांडेय ने कहा श्रीरामचरित मानस हमें नैतिक मूल्यों और भाइयों, माता-पिता, परिवार और अन्य लोगों के साथ संबंधों के महत्व को सिखाती है. हम न केवल रामचरितमानस बल्कि बाइबिल, कुरान और गुरुग्रंथ साहिब का भी सम्मान करते हैं. वे सभी हमें सबको साथ लेकर चलना सिखाते हैं.


रामचरितमानस की चौपाइयों में खास वर्ग का अपमान


बता दें कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की चौपाइयों पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है, यह अधर्म है. सपा नेता मौर्य ने कहा था कि रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों में तेली और कुम्हार जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं.


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