Ghazipur News: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. आज उन्होंने एक बार फिर अयोध्या में हुए भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एक विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पत्थर में प्राण प्रतिष्ठा करने से वह सजीव हो सकता है तो फिर मुर्दे क्यों नहीं चल सकते. यह बयान उन्होंने मंच से बोलते हुए कर्पूरी ठाकुर के जन्मशताब्दी कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम में कहा.


सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह भी कहा कि देश में बेरोजगारी पर चर्चा ना हो इसलिए ऐसे ड्रामे का उपयोग किया जा रहा है. राष्ट्रपति ने भी इस कार्यक्रम से दूरी बनाई क्योंकि उनको भी दिल्ली में हुए अपने अपमान की याद थी. उन्होंने कहा कि भगवान राम तो हजारों साल से पूजे जा रहे हैं और जिसकी पूजा हजारों साल से करोड़ों लोग कर रहे हैं तो उसके अंदर प्राण प्रतिष्ठा करने की जरूरत क्या है. आज सत्ता में बैठे हुए लोग अपने पाप को छुपाने के लिए इस तरह के ड्रामा का सहारा ले रहे हैं.


सपा नेता ने कहा कि यह लोग प्राण प्रतिष्ठा कर अपने को भगवान से बड़ा साबित करना चाह रहे हैं. इन लोगों को समझाना पड़ेगा, आज बेरोजगारी पर चर्चा ना हो इसलिए इस तरह के ड्रामा का सहारा लिया जा रहा है. वाकई में अगर यह धार्मिक अनुष्ठान होता तो इसमें चारों शंकराचार्य होते और देश के राष्ट्रपति आमंत्रित होने के बाद भी यहां नहीं आई. इसलिए क्योंकि वह पूर्व में हुए अपने अपमान का घूंट भूल नहीं पाई है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह कार्यक्रम सिर्फ भारतीय जनता पार्टी का बनकर रह गया. क्योंकि पूरे कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद, भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के लोग ही कर रहे थे. 


गाजीपुर के लंका मैदान में जननायक कर्पूरी ठाकुर के जन्म शताब्दी की पूर्व संध्या पर एक कार्यक्रम का आयोजन समाजवादी पार्टी के द्वारा किया गया था. जिसके मुख्य अतिथि स्वामी प्रसाद मौर्य रहे और उन्होंने मंच से बोलते हुए एक दिन पूर्व अयोध्या में हुए भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर प्राण प्रतिष्ठा कर देने से पत्थर संजीव हो सकता है तो फिर मुर्दे क्यों नहीं चल सकते. उन्होंने कहा कि यह सब पाखंड ढ़ोंग और आडंबर है. वैसे भी जो खुद भगवान है जो सबका कल्याण करता है उसका इंसान की क्या हैसियत की उसमें प्राण प्रतिष्ठा कर सके. यह लोग अपने को भगवान से बड़ा साबित करने में लगे हुए हैं.


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