लखनऊ. प्रदेश में घर घर लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर सेन्टर पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट की जांच में खरे नहीं उतरे. CPRI की जांच रिपोर्ट में इन स्मार्ट मीटर के अधिकतर नमूने मुख्य पैरामीटर में ही फेल हो गए. रिपोर्ट में भार जंपिंग की पुष्टि हुई है. इतना ही नहीं CPRI से आयी इन मीटर की जांच रिपोर्ट को बिजली विभाग के अभियंता दबाए बैठे थे. इस मामले में अब रिपोर्ट दबाने वाले अभियंताओं से भी जवाब तलब किया जा रहा है.


ऊर्जा मंत्री से की गई थी शिकायत


राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट मीटर की गड़बड़ी को लेकर जनवरी में ऊर्जा मंत्री से शिकायत की थी. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि 4518 स्मार्ट मीटर का भार तीन गुना से अधिक जम्प कर गया था. शिकायत के बाद ऊर्जा मंत्री के निर्देश पर पावर कॉरपोरेशन ने 4 सदस्य कमेटी बनाई थी. शुरुआती जांच के बाद कमेटी ने सभी बिजली कंपनियों से स्मार्ट मीटर के नमूने लेकर जांच के लिए सीपीआरआई को भेजे थे. जब लंबे समय तक इसकी रिपोर्ट नहीं आई तो विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सीपीआरआई के अधिकारियों से संपर्क किया उन्होंने बताया कि रिपोर्ट भेजी जा चुकी है.



रिपोर्ट दबाये रहे अधिकारी 


इसके बाद एक बार फिर विद्युत उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्री से इस पूरे मामले की शिकायत की और जांच रिपोर्ट दबाने की बात बताई जिसके बाद जांच रिपोर्ट का खुलासा हुआ है. हालांकि इतना सब होने के बाद भी ये रिपोर्ट लेने के लिए अधिकारियों को तमाम पत्र और रिमाइंडर भेजने पड़े. खुद को फंसता देख अब खेल करने वाले अभियंता जांच रिपोर्ट के गुम होने की बात कह रहे हैं. बाकायदा लिखित रूप में ये दिया है.



ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि मंत्री के निर्देश पर बैठी जांच की रिपोर्ट गायब कैसे हो गई? वहीं, इस मामले में पावर कॉरपोरेशन के एमडी ने रिपोर्ट को दबाने या गायब करने के मामले में जवाब तलब किया है. इस मामले में अब जिम्मेदार अभियंताओं पर कड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है. सूत्रों की माने तो ये रिपोर्ट मीटर बनाने वाली निजी कंपनियों को बचाने के लिए दबाई गयी थी. प्रदेश में 40 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैं. करीब 12 लाख मीटर लग भी चुके हैं.


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