पहलगाम हमले में मारे गये शुभम् द्विवेदी के माता-पिता और पत्नी ऐशन्या वृंदावन में संत प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम पहुंचे, जहां उन्होंने अपने दिल की सारी व्यथा सुनाई और बताया कि कैसे उनकी आंखों के सामने उनकी दुनिया को उजाड़ दिया गया. परिवार का दर्द सुनकर प्रेमानंद महाराज भी द्रवित हो उठे और उन्होंने परिवार को धैर्य रखने को कहा.
शुभम की पत्नी ऐशन्या ने बताया कि उसकी आंखों के सामने उसके पति को मार दिया गया वो आज भी उस दृश्य को भूल नहीं पा रही हैं. जब भी आंखें बंद करती है तो सामने वहीं मंजर दिखाई देने लगता है. तभी मां ने कहा कि गोली मारी तो ये ख़ून से नहा उठी थी. इस पर प्रेमानंद ने कहा कि वो तो दृश्य ही इतना भयानक होगा. जिस दृश्य को आपने अपने सामने देखा..
प्रेमानंद महाराज की शरण में पहुंचा परिवार
प्रेमानंद महाराज के आश्रम की ओर से द्विवेदी परिवार के मुलाकात वीडियो शेयर किया गया है. वीडियो की शुरुआत में शुभम् के पिता संजय द्विवेदी ने सवाल किया और कहा है कि वो हमेशा अच्छे कर्म करते थे लेकिन, फिर भी उनके परिवार के साथ हुआ. जिसके जवाब में महाराज ने महाभारत के अभिमन्यु का जिक्र किया.
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जब अभिमन्यु युद्ध क्षेत्र में उतरे थे तो अर्जुन की हालत भी खराब हो गई थी जबकि उन्हें तो स्वयं भगवान श्रीकृष्ण समझा रहे थे. पुत्र प्रेम पिता के हृदय में जो होता है उसके वियोग का दुख उसका हृदय ही समझ सकता है. जो होना है वो होकर रहेगा.
प्रेमानंद महाराज ने दिया ये ख़ास संदेश
उन्होंने परिजनों को समझाते हुए कहा कि वहां (पहलगाम) उन्ही जीवों का जाना हुआ जिनका प्रारब्ध संपन्न हो चुका था. अब वो निमित्त कुछ भी बने आज तक कभी किसी ने काल को दोषी नहीं कहा. मारता सबको काल है. काल को कोई दोष नहीं. काल वो विविध रूप धारण कर लेता है. लेकिन आयु जब पूरी है तो वो पूरी हो जाती है.
इस ज्ञान से हृदय का दर्द कम नहीं हो जाएगा. इसलिए धैर्यवान बनो. इसके बाद उनके शिष्यों ने गुरुजी को ऐशन्या के बारे में बताया कि शादी के दो महीने ही हुए थे और आतंकियों ने उनके पति को मार दिया. पिता ने कहा कि हमें हिन्दू पूछ-पूछकर मारा.
परिवार को धैर्य बनाने को कहा
गुरुजी ने कहा कि वो दृश्य कितना भयानक होगा जिसे आपने अपने सामने देखा है. उन्होंने कहा कि हम जानते हैं जब हमें इस घटना के बारे में पता चला तो हम भी कई दिनें तक व्यथित रहे थे. आपके तो पति गए हैं पुत्र गए हैं लेकिन, आपको धैर्यवान बनना चाहिए, धैर्यवान बनो रोने से या व्यथित होने से कुछ नहीं मिलेगा. अपना चिंतन बिगड़ेगा इसलिए नाम जप करो. धीरे-धीरे इस दुख को हटाने की कोशिश करो.
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हम जानते हैं कि ये बहुत कठिन है. आप लोगों को ईश्वर धैर्य दें. आप लोगों को सुख प्रदान करें और आप सुख पूर्वक जिए आप इस तरह के चिंतन में अगर और बढ़ते चले गए तो डिप्रेशन में पहुंच जाएंगे. परेशान हो जाएंगे. अब थोड़ा हिम्मत कीजिए. धैर्य कीजिए. भगवान की बड़ी विचित्र लीला है. ये किसी के बस की बात नहीं है.