अलीगढ़ की तहसील इगलास के कस्बे में स्थित प्राचीन पथवारी मंदिर में इस बार भी नवरात्रि के अवसर पर आस्था और विश्वास का अद्भुत नजारा दिखाई दिया. नवरात्रि के पहले दिन से ही यहां भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है. मंदिर के बाहर सुबह से ही लंबी कतारें लग गईं. महिलाएं, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सब माता रानी के दर्शन के लिए उत्सुक नजर आए. भक्तों के हाथों में फूल, चुनरी, नारियल और प्रसाद की थालियां थीं. मंदिर प्रांगण "जय माता दी" के जयकारों से गूंज उठा.
ग्रामीणों के अनुसार, यह मंदिर सैकड़ों वर्षों पुराना है. मान्यता है कि मां पथवारी अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं. कस्बे और आसपास के गांवों के लोग इस मंदिर को चमत्कारों के लिए पहचानते हैं. किसी की मन्नत पूरी होती है तो कोई संतान सुख पाता है, किसी को कठिन रोगों से निजात मिलती है, तो कोई अपने व्यापार या खेती में सफलता पाता है.
आस्था और विश्वास की अनूठी है गाथा
पड़ोस के गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि पथवारी माता का यह मंदिर कभी छोटा-सा धाम हुआ करता था. समय के साथ श्रद्धालुओं की बढ़ती आस्था और स्थानीय सहयोग से मंदिर का विस्तार होता गया. अब यह मंदिर पूरे क्षेत्र में आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका है. पथवारी मंदिर केवल पूजा-अर्चना का स्थान नहीं, बल्कि यहां आस्था और विश्वास की अनूठी गाथा जुड़ी है.
नवरात्रि पर भक्तों की अपार भीड़
नवरात्रि पर यहां का दृश्य किसी बड़े मेले से कम नहीं होता. मंदिर परिसर के बाहर दुकानों पर पूजन सामग्री, चुनरी, नारियल और मिठाइयां बिक रही हैं. बच्चे गुब्बारे और खिलौनों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. वहीं महिलाएं पारंपरिक पोशाक में समूह बनाकर माता के भजन गा रही हैं. चारों ओर श्रद्धा और भक्ति का माहौल देखने लायक है. इगलास कस्बे ही नहीं बल्कि अलीगढ़ जिले और पड़ोसी जनपदों से भी लोग दर्शन करने आ रहे हैं. प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्थाओं के लिए विशेष इंतजाम किए हैं.
नवरात्रि पर विशेष अनुष्ठान और पूजा-पाठ
नवरात्रि के दौरान पथवारी मंदिर में विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं. सुबह और शाम आरती में हजारों भक्त शामिल होते हैं. ढोल-नगाड़ों की गूंज और शंखनाद से वातावरण और भी पवित्र हो जाता है. पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच माता की पूजा संपन्न होती है.
सुबह 2 बजे से शुरू हो जाते हैं दर्शन
मंदिर प्रबंधन समिति के अनुसार हर दिन सुबह 2 बजे से ही दर्शन शुरू हो जाते हैं और रात 11 बजे तक भक्तों की भीड़ बनी रहती है. खासकर अष्टमी और नवमी के दिन मंदिर में भक्तों का रेला उमड़ पड़ता है. कन्या पूजन और भंडारे का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें हजारों लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं.
इसके अलावा यह मेला जैसा माहौल स्थानीय समाज को भी जोड़ता है. दूर-दराज से आए लोग यहां अपने परिचितों और रिश्तेदारों से भी मिलते हैं. भक्ति के साथ-साथ आपसी भाईचारा और मेलजोल भी बढ़ता है.
श्रद्धालुओं ने बताई मां की महिमा
भक्तों का कहना है कि पथवारी माता के दरबार में आकर मन को शांति और आत्मिक सुख मिलता है. एक श्रद्धालु महिला ने कहा – "मैं हर साल नवरात्रि में यहां दर्शन के लिए आती हूं. माता रानी मेरी हर मुराद पूरी करती हैं." वहीं एक युवा ने बताया कि, "परीक्षा और नौकरी की तैयारी से पहले मैं माता रानी का आशीर्वाद लेने जरूर आता हूं. इससे आत्मविश्वास बढ़ता है."