प्रयागराज: अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन 5 अगस्त को होगा. भूमि पूजन में तीर्थराज प्रयागराज के त्रिवेणी संगम की मिट्टी और जल का भी इस्तेमाल किया जाएगा. विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता 29 जुलाई को संगम पर पूजा-अर्चना कर वहां की मिट्टी और जल इकठ्ठा करेंगे. संगम की मिट्टी और जल को इकठ्ठा करने का कार्यक्रम तकरीबन 2 घंटे तक चलेगा.


संगम की मिट्टी और जल को सीधे तौर पर अयोध्या नहीं ले जाया जाएगा. संगम पर पूरे विधि विधान के साथ इकठ्ठा किए जाने वाले जल और मिट्टी को अयोध्या ले जाने से पहले उसे प्रयागराज में ही वीएचपी के मुखिया रहे दिवंगत अशोक सिंघल के आवास पर ले जाया जाएगा. अशोक सिंघल के आवास पर यह मिट्टी और जल दोपहर से रात तक लोगों के दर्शनार्थ रखा जाएगा. तमाम साधु-संत और वीएचपी कार्यकर्ताओं के साथ ही बड़ी संख्या में राम भक्त स्वर्गीय अशोक सिंघल के आवास पर इस मिट्टी और जल का दर्शन करेंगे. उसके साथ अपनी शुभकामनाएं भी भेजेंगे.



प्रयागराज में दिंवगत अशोक सिंघल के आवास पर जोर शोर से तैयारियां की जा रही हैं. जल और मिट्टी को घर के पिछले हिस्से में बनाए गए आश्रम में रखा जाना है. वहां मौजूद लोग सोशल डिस्टेंसिंग के साथ रामनाम का जाप भी करेंगे. यहां पहले ही अशोक सिंहल की कई बड़ी तस्वीरें रख दी गई हैं. इसके अलावा तांबे के बर्तनों और आरती के पात्रों को रखा गया है. मिट्टी और जल को राम मंदिर ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती की सलाह पर अशोक सिंघल के आवास पर रखा जा रहा है.


दरअसल, ट्रस्ट के सदस्य और तमाम साधु-संतों के साथ ही वीएचपी के कार्यकर्ता भी यह चाहते हैं कि मंदिर निर्माण शुरू होने पर इसके आंदोलन के पुरोधा रहे अशोक सिंघल को न सिर्फ याद किया जाए, बल्कि यह संदेश भी दिया जाए कि करोड़ों राम भक्तों का बरसों पुराना सपना सिंघल समेत कई दूसरे लोगों के त्याग और बलिदान के बिना संभव नहीं था.



गौरतलब है कि अशोक सिंघल राम मंदिर आंदोलन के पुरोधाओं में रहे हैं और प्रयागराज इस आंदोलन का केंद्र बिंदु रहा है. अशोक सिंघल के जिस आवास पर बुधवार को भूमि पूजन में इस्तेमाल होने वाले संगम के जल और मिट्टी को रखा जाएगा, उसी में आंदोलन को लेकर तमाम रणनीति तैयार हुई हैं. सिंघल के आवास पर रह रहे लोग जल और मिट्टी अयोध्या भेजे जाने से पहले यहां रखे जाने से बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि सिंघल के पुराने सपने का साकार होना ही उन्हें सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है.


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