Prayagraj News Today: प्रयागराज महाकुंभ में सोमवार (27 जनवरी) को सनातन धर्म संसद की बैठक हुई. इस दौरान सनातन बोर्ड के गठन को लेकर लंबी चर्चा हुई है. अब बैठक के बाद सनातनी हिंदू बोर्ड की तस्वीर काफी हद तक साफ हो गई. आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर ने सनातन बोर्ड गठन के प्रारूप को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए बताया कि इस पर सभी धर्माचार्यों ने अपनी स्वीकृति दे दी है.

महाकुंभ में सनातन धर्म संसद में आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि हमने सनातनी हिंदू बोर्ड अधिनियम के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है और यहां मौजूद सभी धार्मिक नेताओं ने इस पर सहमति व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि हम इस संविधान को भारत सरकार को भेजेंगे और इस पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनका समय मांगेंगे, इस उम्मीद के साथ कि अगर वक्फ बोर्ड होगा तो सरकार हिंदुओं और सनातनियों को एक सनातन बोर्ड का तोहफा देगी.

सनातन बोर्ड गठन की मंशाचतुर्थ सनातन धर्म संसद बैठक के बाद कहा गया कि सनातन बोर्ड को "हिंदू बोर्ड अधिनियम 20" के नाम से जाना जाएगा. इसके प्रस्तावना में कहा गया है कि यह अधिनियम भारत में हिंदू मंदिरों, उनकी संपत्तियों, निधियों और सनातन धार्मिक परंपराओं के प्रबंधन, संरक्षण और निगरानी के लिए एक केंद्रीकृत सनातन हिंदू बोर्ड की स्थापना करेगा. 

आगे कहा गया है कि इसका प्रमुख उद्देश्य सनातन धर्म और इसकी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए मंदिर संसाधनों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करना है. प्रारुप में कहा गया है कि सनातन हिंदू बोर्ड को एक स्वतंत्र निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा. जो हिंदू मंदिरों,उनकी संपत्तियों और निधियों की देखरेख के लिये उत्तरदायी होगा. इसमें वही व्यक्ति शामिल होंगे जो हिंदुत्व में विश्वास रखते हुए सनातनी परंपराओं की सेवा की प्रबल इच्छा रखते हों.

बोर्ड में कौन होंगे शामिल?सनातन बोर्ड का प्रस्तावित ड्राफ्ट में कहा गया है कि चारों जगदगुरु शंकराचार्यों की देखरेख में राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय सनातन बोर्ड का गठन किया जाएगा. सनातन बोर्ड स्वतंत्र इकाई के रूप में काम करेगा. इस बोर्ड के केंद्रीय अध्यक्ष मंडल में 11 सदस्यों को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है. जिसमें चारों संप्रदाय के प्रमुख जगदगुरु, सनातनी अखाड़ों के तीन प्रमुख व्यक्तित्व, एक संरक्षक मंडल द्वारा नामित व्यक्ति और तीन अन्य सदस्यों में प्रमुख संत, कथाकार या धर्माचार्य को शामिल करने का प्रस्ताव पेश किया गया है.

इसी तरह सनातन बोर्ड में के संचालन के लिए सहयोगी मंडल और सलाहकार मंडल को भी शामिल करने की योजना है. सहयोगी मंडल की भूमिका में हिंदुओं के लिए कार्य करने वाले संगठन के प्रतिनिधि, प्रमुख मंदिर, गौशाला से जुड़े व्यक्ति, गुरुकुल शिक्षा पद्धति से जुड़े व्यक्ति समेत कई अन्य लोगों को बोर्ड में शामिल करने का सुझाव दिया गया है. इसी तरह सलाकार मंडल में रिटायर्ड सनातनी जज और वकील, उच्च पदों से रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारियों, मीडिया और सीनियर शिक्षाविद समेत सामाजिक और धार्मिक कार्यों से जुडे़ सनातनी व्यक्ति शामिल होंगे.

प्रसाद वितरण पर भी बोर्ड का नियंत्रणसनातन बोर्ड की गठन के बाद मंदिर प्रशासन में सिर्फ हिंदु धर्मावलंबियों को ही कार्य करने की अनुमति होगी. बताया गया है कि ऐसा करने से हिंदू संस्कृति और सनातन परंपराओं की रक्षा हो सकेगी. तिरुपति बालाजी मंदिर जैसी घटना दोबारा ना हो इसके लिए मंदिर प्रवेश नियमों और प्रसाद प्रबंधन की देखरेख भी बोर्ड के जरिए की जाएगी.

विशेष समिति करेगी निधि की देखभालसनातन धर्म संसद की बैठक में केंद्र और राज्य स्तर पर इसके संचालन के लिए विशेष योजना तैयार की गई है. इसके तहत संरक्षक मंडल की सहमति से अध्यक्ष मंडल देश के अलग-अलग राज्यों में सनातन बोर्ड की राज्य स्तरीय समिति का गठन करेगा. इसके अलावा एक विशेष समिति का गठन किया जाएगा, जो मंदिरों की निधियों के प्रबंधन, आवंटन और वितरण की देखरेख करेगा. इसके लिए निधियों का प्रबंध एक एस्क्रो खाते के जरिये किया जाएगा. इस निधि का इस्तेमाल गुरुकुलों, गौशालाओं, छोटे मंदिरों, बड़े मंदिरों में अस्पतालों के संचालन और आर्थिक रुप से कमजोर सनातनी परिवारों की आर्थिक सहायता में किया जाएगा.

इसी तरह बोर्ड अधिनियम के तहत केंद्रीय सनातन बोर्ड के संरक्षक और सदस्यों को लोकसेवक के रुप में नामित करने की सलाह दी गई, जिससे उनकी जिम्मेदारी सुनिश्चित हो सके. सनातन बोर्ड सभी बड़े मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति करेगा, जिसके लिए पारंपरिक योग्यता और धार्मिक ज्ञान की जानकारी मुख्य मानदंड होगा. 

अवैध वक्फ संपत्तियां होंगी मुक्त?इसके अलावा सनातन अधिनियम के तहत मंदिरों की संपत्ति पर अवैध कब्जे को तत्काल हटाने का जिला मजिस्ट्रेट के पास पूर्ण अधिकार होगा. सनातन बोर्ड सभी मंदिर संपत्तियों का एक ऑफिशियल रजिस्टर्ड रजिस्टर रखेगा. बोर्ड की अनुमति के बगैर मंदिरों की संपत्तियों को बेचा नहीं जा सकेगा और ना ही पट्टा या अन्य तरीके से हस्तांतरित किया जा सकेगा. 

बोर्ड को अगर किसी संपत्ति के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य या ऐतिहासिक आधार मिलता है तो वह उसे मंदिर संपत्ति के रुप में घोषित कर सकता है. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि वक्फ बोर्ड के जरिये जबरन कब्जा की गई जमीनों को मुक्त कराने और असंवैधानिक अधिकारों को समाप्त करने के लिए सनातन बोर्ड न्यायाधिकरण सभी स्तर पर प्रभावी प्रयास करेगा. 

इन मंदिरों पर नहीं लागू होंगे बोर्ड नियमइस अधिनियम की सबसे खास बात यह है कि इसके तहत उन्हीं मंदिरों को सनातन बोर्ड के कार्यक्षेत्र में शामिल किया जाएगा, जो मंदिर अभी सरकार के नियंत्रण में हैं. जबकि जो मंदिर या धार्मिक संस्थाएं निजी तौर पर संचालित की जाती हैं या सरकार के नियंत्रण में नहीं हैं, उन पर सनातन बोर्ड के नियम लागू नहीं होंगे. हालांकि निजी मंदिरों या गौशाला या अन्य संस्थाओं के पास ये विकल्प होगा कि वे स्वेच्छा से आवदेन देकर सनातन बोर्ड के अधीन हो सकती हैं.

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