Sambhal Riot 1978: उत्तर प्रदेश के संभल में 1978 में हुए दंगे की रिपोर्ट भेजने को संभल जिला प्रशासन ने शासन से 15 दिन का और समय ले लिया है. दंगे के 10 मुकदमों की फाइलें मिल गई हैं, लेकिन 441/78 नंबर के मुकदमे ने अधिकारियों को परेशान कर दिया है. इसकी फाइल नहीं मिल रही है. हत्या से जुड़े सभी मुकदमे अपराध संख्या 88 के साथ इस मुकदमे में शामिल कर दिए गए थे. जिन 10 मुकदमों की फाइलें मिली हैं, वह जिंदा जलाने की कोशिश और डकैती की धाराओं वाली हैं. 

अधिकारी फाइलों का अध्ययन करने में जुटे हैं, जल्द ही रिपोर्ट शासन को भेजने की तैयारी है. विधान परिषद में 17 दिसंबर, 2024 को 1978 के दंगे का मामला उठने के बाद शासन ने छह जनवरी को प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी, फाइलें नहीं मिलने से रिपोर्ट नहीं भेजी जा सकी. शासन द्वारा संज्ञान लेने के बाद जिला प्रशासन ने पंद्रह दिन का और समय मांग लिया है, 1978 के कुछ दंगा पीड़ित दोबारा जांच कराना चाहते हैं. अधिकारी इनके प्रार्थनापत्रों को भी अपनी रिपोर्ट के साथ शासन को भेजेंगे, इसी आधार पर दोबारा जांच हो सकती है.

संभल दंगा में कई लोगों को जलाया गया था जिंदासंभल में 29 मार्च, 1978 को सांप्रदायिक दंगा भड़का था, जिसमें कई लोगों को जिंदा जला दिया गया था, दंगे के बाद मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में रहने वाले कई हिंदू परिवारों ने पलायन किया था. उस समय संभल मुरादाबाद जिले का ही हिस्सा था. यहां विभिन्न अदालतों में 16 मुकदमे चले, 23 दिसंबर, 1993 को प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सरकार ने आठ मुकदमों को वापस ले लिया था. 24 नवंबर, 2024 को जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में हिंसा भड़कने के बाद 1978 का दंगा भी सुर्खियों में आ गया.

आपको बता दें कि 14 दिसंबर, 2024 को खग्गू सराय में शिव मंदिर मिला था. यह 1978 के दंगे के बाद से बंद था, प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मंदिर को खुलवाकर पूजा पाठ शुरू कराया. इसके बाद कई दंगा पीड़ित सामने आए. इसके बाद ही विधान परिषद में मामला उठाया गया, अधिकृत सूत्रों के मुताबिक दंगे के 10 मुकदमों की फाइल अब तक मिल चुकी हैं. जिनमें अधिकांश वापस लेने वाले मुकदमे हैं. दंगे में हत्या के मुकदमों को 441/78 नंबर की फाइल में शामिल कर दिया गया था. फाइल के नहीं मिलने की वजह से जिला प्रशासन अपनी रिपोर्ट को फाइनल नहीं कर पा रहा है.

मकान का नक्शा दिखाने के लिए सपा सांसद को मिली मोहलतसंभल के एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई का कहना है कि फाइलों को अध्ययन किया जा रहा है, जल्द ही रिपोर्ट शासन को भेज दी जाएगी. उधर सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क को आवास का नक्शा दिखाने के लिए 10 फरवरी तक का और समय दिया गया है. मंगलवार को सांसद के अधिवक्ता मोहम्मद नईम ने नियत प्राधिकारी विनियमित क्षेत्र व एसडीएम वंदना मिश्रा के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए समय की मांग की. मुहल्ला दीपा सराय में सांसद का तीन मंजिल आवास बनाया जा रहा है, आरोप है कि आवास बिना नक्शे के बनाया जा रहा है. नियत प्राधिकारी ने पांच दिसंबर को उन्हें पहला नोटिस देकर सात दिन में नक्शा दिखाने को कहा था. अब सपा सांसद को 10 फरवरी तक का समय दिया गया है.

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