उत्तर प्रदेश के संभल में नवंबर 2024 में हुई हिंसा पर न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले दावे किए गए हैं. इनमें जनपद की डेमोग्राफी बदलने से लेकर यहां कई आतंकी संगठनों के सक्रिय होने का भी जिक्र किया गया है. जिसके बाद इस रिपोर्ट को लेकर बहस छिड़ गई है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के संभल हिंसा को लेकर गठित न्यायिक आयोग ने गुरुवार को 450 पन्नों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. इस रिपोर्ट में जनपद के कई आतंकी संगठनों के सक्रिया होने का जिक्र हैं. जिसमें ख़ासतौर से लाना आसिम उर्फ सना-उल-हक के नाम को चिन्हित किया गया है, जिसे अमेरिका ने आतंकी घोषित किया था. उसका लिंक भी संभल से था.  

जनपद में कई आतंकी संगठन सक्रिय

इसके अलावा संभल निवासी शारिक साठा का नाम भी रिपोर्ट में शामिल किया गया हैं. उस पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर जाली नोटों का कारोबार करने की बात सामने आई है. हिंसा के दौरान भी उसका गिरोह सक्रिया था. यहीं नहीं दंगों के दौरान जिन हथियारों का इस्तेमाल किया गया वो विदेश थे उन पर मेड़ इन यूएसए लिखा था. 

रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि जनपद में तेजी से अवैध हथियार और नशे का कारोबार बढ़ता जा रहा है. जिससे साफ हो गया है कि ये हिंसा सिर्फ स्थानीय राजनीति का ही हिस्सा नहीं था बल्कि इसके तार अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े थे. ये जिला अलकायदा, हरकत उल मुजाहिद्दीन जैसे आंतकी संगठनों का भी अड्डा बन चुका है.

डेमोग्राफी बदलाव को लेकर बड़ा दावा

बता दें कि इस रिपोर्ट में संभल के डेमोग्राफी बदलाव के बारे में बताया गया है. दावा है कि आजादी के समय में संभल में हिन्दुओं की कुल आबादी 45 फ़ीसद तक थी जो अब घटकर 15-20 फ़ीसद तक रह गई है. दंगे, तुष्टिकरण की राजनीति ने संभल की जनसांख्यिकी बदल दी.

रिपोर्ट में बताया गया है कि आजादी के बाद से यहां कुल 15 बार दंगे हुए हैं. ये साल 1947, 1948, 1953, 1958, 1962, 1976, 1978, 1980, 1990, 1992, 1995, 2001, 2019 में हुए. जिससे यहां की डेमोग्राफी में बदलाव आया और बड़ी संख्या में हिन्दू इस इलाके को छोड़कर चले गए.