Sambhal Jama Masjid ASI Survey Report: संभल की शाही जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई मामले को लेकर आज शुक्रवार (28 फरवरी) को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी स्टेटस रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट में एएसआई ने बताया की उसके तीन अधिकारियों ने मस्जिद परिसर का निरीक्षण किया था, जिसमें मदन सिंह चौहान (संयुक्त महानिदेशक, ASI), जुल्फिकार अली (निदेशक, स्मारक, ASI) और विनोद सिंह रावत (पर्यवेक्षी पुरातत्वविद्, ASI, मेरठ सर्कल) थे.

इन अधिकारियों ने मस्जिद के मुतवल्लियों (प्रबंधकों) के साथ 27 फरवरी 2025 को मस्जिद का निरीक्षण किया. निरीक्षण का मकसद यह देखना था कि मस्जिद के रखरखाव के लिए सफेदी (पुताई) की जरूरत है या नहीं.

ASI की टीम ने रिपोर्ट में बताया कि मस्जिद के मूल स्वरूप को काफी हद तक बदल दिया गया है. मस्जिद की फर्श को पूरी तरह हटा दिया गया और नई टाइल्स और पत्थर लगा दिए गए. मस्जिद की दीवारों पर मोटी परत में इनामेल पेंट किया गया है, जिसमें सुनहरा, लाल, हरा और पीला रंग शामिल है. यह पेंट इतना गहरा है कि मूल ऐतिहासिक सतह पूरी तरह छिप गई.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, मस्जिद के अंदर का पेंट अभी भी सही स्थिति में है. इसलिए अभी सफेदी (पुताई) की जरूरत नहीं है. बाहरी दीवारों पर हल्की सी पेंट की परत उखड़ रही है, लेकिन फिलहाल इसे फिर से रंगने की आवश्यकता नहीं है. मुख्य दरवाजे और कमरों की हालत खराब है, मस्जिद का मुख्य ढांचा ठीक है. लेकिन इसके प्रवेश द्वार और पीछे के कमरों की हालत खराब है.

एएसआई ने बताया कि मस्जिद का मुख्य दरवाजा लकड़ी का बना है, जिसकी ऊपरी पट्टी (लिंटल) पूरी तरह सड़ चुकी है. इसे तुरंत बदला जाना चाहिए, नहीं तो दरवाजा गिर सकता है. मस्जिद के पश्चिम और उत्तर दिशा में कई छोटे कमरे हैं, जो मस्जिद कमेटी द्वारा गोदाम के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं. इन कमरों की छतें बहुत कमजोर हो चुकी हैं और लकड़ी की पट्टियां गिरने की स्थिति में हैं.

संभल की जामा मस्जिद एक संरक्षित स्मारक

एएसआई ने रिपोर्ट में बताया की संभल की जामा मस्जिद एक संरक्षित स्मारक है. इसे 22 दिसंबर 1920 को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत संरक्षित घोषित किया गया था. इसके बाद इसे 1958 के प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल अधिनियम में भी शामिल किया गया.

मस्जिद में वुजू करने के लिए है पानी की टंकी 

मस्जिद का मुख्य दरवाजा पूरब दिशा में है. यहां से सीढ़ियों के जरिए मस्जिद तक पहुंचा जाता है. मस्जिद के बीच में एक बड़ा गुम्बद है और चारों तरफ एक खुला आंगन है. इसके बीच में वुजू करने के लिए पानी की टंकी भी बनी हुई है. ASI की मेरठ सर्कल की टीम जल्द ही पूरी मस्जिद की स्थिति का विस्तृत अध्ययन करेगी और इसके संरक्षण और मरम्मत  का काम करेगी.

मस्जिद कमेटी को करना होगा सहयोग

इसके साथ ही एएसआई ने रिपोर्ट में कहा की वो मस्जिद की रोज़ मर्रा का काम जैसे सफाई, धूल हटाने और आसपास की घास-पत्तियों को हटाने का काम कर सकता है. लेकिन इसके लिए मस्जिद कमेटी को सहयोग करना होगा और मस्जिद कमेटी उसके काम में अवरोध नहीं उत्पन्न करेगी.  एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है मस्जिद परिसर में किए गए अन्य आधुनिक बदलावों की भी ASI के संरक्षण और विज्ञान विभाग द्वारा गहराई से जांच की जरूरत है. ताकि स्मारक को उसके मूल रूप में वापस लाया जा सके.

चमोली एवलांच मजदूरों के देवदूत बने सेना के जवान, भारी बर्फबारी के बीच रेस्क्यू, देखें तस्वीरें