Sant Kabir Nagar News: यूपी के संतकबीरनगर जिले में जिलाध्यक्ष के सामने ही सपा कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए. इस दौरान पार्टी नेताओं के बीच जमकर तू-तू मैं-मैं हुई. एक तरह जहां सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ संतकबीर नगर में पार्टी के अंदर ही सिर फटोव्वल देखने को मिल रहा है. जब इस जनपद में जिलाध्यक्ष अब्दुल कलाम ने कमान संभाली है तब से सपा के लिए कुछ भी शुभ नहीं हो रहा है. 


पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले ये सोचकर अनुभवी नेता अब्दुल कलाम को पार्टी सौंपी थी कि वो पार्टी के लिए संजीवनी बनेंगे लेकिन इसका उल्टा होते ही नजर आ रहा है. अब्दुल कलाम के जिलाध्यक्ष बनने के बाद से लेकर अबतक पार्टी कार्यालय पर आयोजित बैठकों में जिस तरह से सपाई आपस में भिड़ते दिखाई दे रहे हैं उससे आप भी यही कहेंगे कि ये पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है. 


सपा कार्यकर्ताओं में हुई तू-तू मैं-मैं


दरअसल पार्टी कार्यालय पर पिछले 15 मई को मेंहदावल विधान सभा के पूर्व प्रत्याशी जयराम पांडेय और जिलाध्यक्ष अब्दुल कलाम के बीच जहां जमकर तू तू मैं मैं हुई थी, वहीं ठीक 19वें दिन पूर्व सांसद के बेटे पूर्व विधान सभा प्रत्याशी आलोक उर्फ सोनू यादव और उनके भांजे का पार्टी के वरिष्ठ नेता सिराज अहमद खान जो कभी पूर्व सांसद स्वर्गीय सुरेंद्र यादव के निजी सचिव रहे थे उनके साथ जमकर कहासुनी हो गई. ये सब पार्टी कार्यालय पर ही हुआ.


फेसबुक पोस्ट पर जताई नाराजगी


दरअसल पूर्व सांसद के बेटे सोनू यादव, सिराज अहमद खान से एक फेसबुक पोस्ट को लेकर नाराज थे, जिसमें उन्होंने पूर्व सांसद की पुण्यतिथि पर मंच पर जगह नहीं मिलने पर अपना दुख जाहिर किया था. उन्होंने लिखा कि स्वर्गीय सुरेन्द्र यादव जी को कदम-कदम पर धोखा देने वाले उनकी पुण्य तिथि के अवसर पर मंच की शोभा बढ़ा रहे थे, पार्टी नेता सिराज अहमद का यह दर्द इसलिए उभरा था कि उस दिन सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव स्वयं पूर्व सांसद को श्रद्धांजलि देने खलीलाबाद के जूनियर हाईस्कूल के मैदान में आए थे. 


पार्टी नेता सिराज के इसी पोस्ट से नाराज दिखे जिसके बाद पूर्व सांसद के बेटे सोनू यादव और उनके भांजे राहुल यादव मीटिंग के दौरान भड़क गए और उनकी सिराज के साथ तीखी नोकझोंक हो गई. बीच बचाव की जिम्मेदारी जिलाध्यक्ष पर थी, लेकिन वो काफी देर तक शांत रहे. अगर पूर्व विधायक जय चौबे बीच में नहीं आए होते तो पार्टी की बड़ी फजीहत हो गई होती. जय चौबे ने पहले सिराज अहमद को शांत कराया फिर खुद कुर्सी छोड़ सोनू यादव और राहुल के पास पहुंचे और कड़े शब्दों में उन्हें शांत रहने को कहा. 


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