उत्तर प्रदेश की संभल सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने आरएसएस के सौ साल पूरे होने पर अपनी प्रतिक्रिया दी हैं. सपा सांसद ने कहा कि आरएसएस की करनी और कथनी में फर्क हैं. उनके प्रमुख कहते हैं कि हर धार्मिक स्थल के नीचे मंदिर नहीं खोजना चाहिए लेकिन नीचे के लोग कुछ और कर रहे हैं. 

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सपा सांसद ने कहा कि कुछ लोग नफरत की भाषा बोलकर धर्म के नाम पर देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं जो देश को बांटना चाहते हैं उनका बहिष्कार होना चाहिए. हमें तो आरएसएस की करनी और कथनी में फर्क नज़र आता है. जहां उनके प्रमुख कहते हैं कि हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग नहीं खोजना चाहिए वहीं उनके कुछ लोग लगातार उसी बात को मुद्दा बना रहे हैं. 

आरएसएस की कथनी और करनी में अंतर

बर्क ने कहा कि ये भी आरएसएस के लोग है. इसका मतलब है कि वो अपने प्रमुख की बात नहीं मान रहे हैं. इससे या तो ये लगता है कि आरएसएस में अनुशासन नहीं हैं. या फिर ये है कि उनकी करनी और कथनी में फर्क हैं कि वो कह कुछ रहे हैं और उनके नीचे के लोग कुछ और कर रहे हैं. 

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आरएसएस अगर एक संस्था है और बीजेपी उसकी शाखा है तो काम ऐसा करो कि जिससे देश की तरक्की हो और आने वाली नस्लें याद करें कि उन्होंने देश के लिए काम किया था न कि देश को बांटने के लिए 

'अपने दिलों के रावण का दहन करें'

सपा सांसद ने इस दौरान दशहरा को लेकर भी अपनी बात रखी और कहा कि हर साल हम रावण को जलाकर दशहरा मनाते हैं, इन्हें सिर्फ रावण ही नहीं बल्कि दिलों से भी रावण को फूंकना पड़ेगा. चंद लोगों की मानसिकता अलग है. अगर वो सच्चे रास्ते पर चले, उनके अंदर अगर सच में देश भक्ति का भावना है. समाज व धर्म के प्रति वफादार है तो हम सभी धर्मों का सम्मान करेंगे. 

सब धर्म के लिए काम करना ही सच्ची देशभक्ति है जो लोग गलत मानसिकता रखते हैं उन्हें सही रास्ते पर आना होगा सच्ची देशभक्ति और धर्म के प्रति वफादारी तभी है जब इंसान सब धर्म के लिए कम करें. हमारा धर्म यह पैगाम देता है कि पड़ोसी किसी भी धर्म का हो अगर भूखा सो रहा है और हम सुकून में सो रहे हैं तो हम सच्चे मुसलमान नहीं हो सकते.

इनपुट- उबैदुर रहमान