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उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के दीदारगंज थाने के सामने चक्का जाम कर सरकारी काम में बाधा डालने के मुकदमे में सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने आजमगढ़ की फूलपुर पवई विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुने गए विधायक रमाकांत यादव को एक सालकारावास और कुल 3800 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई.

यह फैसला एमपी एमएलए स्पेशल मजिस्ट्रेट कोर्ट के जज अनुपम कुमार त्रिपाठी ने सोमवार को सुनाया. 6 अप्रैल 2006 को सुबह सात बजे रमाकांत यादव अपने दो ढाई सौ समर्थकों के साथ दीदारगंज थाने पहुंचे रमाकांत यादव थाना प्रभारी मधुप कुमार सिंह पर अपने एक समर्थक के छुड़ाने का दबाव बना रहे थे. जब थानाध्यक्ष ने रमाकांत यादव की बात नहीं मानी तब दीदारगंज खेता सराय मार्ग पर चक्का जाम कर दिया और सरकारी काम में बाधा उत्पन्न की.

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इस मामले में पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद रमाकांत समेत तीन लोगों के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रस्तुत किया. अभियोजन पक्ष की तरफ से कुल छह गवाह न्यायालय में परीक्षित कराए गए. इस दौरान मुकदमा दो अन्य आरोपियों की मृत्यु हो गई, दोनों पक्षों के दलीलों को सुनने के बाद अदालत में आरोपी रमाकांत यादव को एक वर्ष के कारावास तथा 3800 अर्थदंड की सजा सुनाई.

एमपी-एमएलए लोअर कोर्ट ने विधायक रमाकांत यादव को सुनाई सजा

इस मामले पर संयुक्त निदेशक अभियोजन शमशाद हसन ने बताया कि आज एमपी एमएलए लोअर कोर्ट ने विधायक रमाकांत यादव को दंडित किया है. रमाकांत यादव द्वारा अपने समर्थकों के साथ थाने को घेर लिया गया, रमाकांत यादव धारा 25 के अंतर्गत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को छुड़वाना चाहते थे. ऐसा न होने पर रमाकांत यादव और उनके हथियार बंद समर्थकों द्वारा सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न की गई समर्थकों द्वारा सड़क जाम किया गया उस समय रमाकांत यादव भी मौजूद थे.

तीन धाराओं में सुनाई गई सजा

इस मामले में पुलिस ने विवेचना के बाद आरोप पत्र दाखिल किया गया. अभियोजन की ओर से विपिन चंद्र भास्कर ने प्रभावी बहस की जिस पर एमपी-एमएलए लोअर कोर्ट ने विचारण के उपरांत अपराध संख्या 156/2006 में धारा 145 में रमाकांत यादव को 3 माह की सजा और 1000 जुर्माना, धारा 186 में एक माह की सजा और 500 जुर्माना, धारा 353 में एक साल का कारावास और 2000 जुर्माना, धारा 341 में एक माह का साधारण कारावास और 300 जुर्माना से दंडित किया गया. इस मामले में महत्वपूर्ण बात यह है कि अभियोजन की ओर से इस मामले में तर्कसंगत बहस की गई जिसकी वजह से 19 साल बाद वर्तमान विधायक रमाकांत यादव को सजा मिल सकी.