समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आठ अक्टूबर यानी बुधवार को सीतापुर जेल से रिहा हुआ वरिष्ठ नेता आज़म खान से मिलने जा रहे हैं. इससे पहले समाजवादी पार्टी में आजम खान की भूमिका को लेकर चिंतन-मंथन तेज हो गया हैं. अखिलेश यादव चुनाव से लिहाज़ से आगे की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. इस मुलाकात के बाद काफी हद तक तस्वीर साफ हो जाएगी.

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सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद आज़म खान लगातार मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे हैं. लेकिन, सपा की ओर से पार्टी में उनकी भूमिका को लेकर कई तरह के क़यास लग रहे हैं. आजम खान के बयान भी इस ओर इशारा कर रहे हैं कि वो पार्टी में अपनी अहमियत को कम नहीं होने देना चाहते हैं. 

सपा में कैसी होगी आजम खान की भूमिका

एक तरफ़ आजम खान है तो दूसरी तरफ सपा के वो मुस्लिम नेता है जिन्हें उनके बाहर आने के बाद अपनी उपयोगिता कम होने का डर सता रहा है. इन नेताओं को लगता है कि अगर आज़म खान फिर से ताक़तवर हुए तो उनकी सियासत को नुक़सान हो सकती हैं. तीसरी तरफ खुद सपा का नेतृत्व है. जिसके आगे इन दोनों को साधते हुए चुनाव की चुनौतियों से भी निबटना है.

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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के फॉर्मूले के साथ आगे बढ़ रहे हैं. वो कई बार सार्वजनिक मंचों से ये साफ कर चुके हैं कि उनके पीडीए में ए का मतलब अगड़ा भी हैं और वो सर्व समाज को साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं. ताकि बीजेपी के हिन्दुत्व का जवाब दिया जा सके. 

सपा अध्यक्ष के सामने ये बड़ी चुनौती

अखिलेश यादव की कोशिश है कि आजम को इस तरह से पार्टी में वापसी कराई जाए कि मुस्लिमों के बीच भी ये संदेश जाए कि पार्टी ने उन्हें अकेला नहीं छोड़ा है वहीं चुनाव में उनके कट्टर मुस्लिम चेहरे से पार्टी को नुकसान से बचाया जा सके. अगर वो अपने भाषणों में पहले की तीखे तेवर दिखाते हैं तो इससे बीजेपी हिन्दू वोटरों का ध्रुवीकरण कर सकती है. इससे सपा बचना चाहेगी.

आजम खान की रामपुर व आसपास के इलाके में मुस्लिम वोटरों में अच्छी पकड़ है. सपा जानती है कि अगर आजम खान के दरकिनार किया जाता है तो मुस्लिम मतदाताओं में गलत संदेश जा सकता है वहीं सपा को उन मुस्लिम नेताओं के साथ भी संतुलन बनाना है  जो आजम खान की वजह से खुद को असहज और उपेक्षित महसूस कर सकते हैं. 

आजम खान 23 सितंबर को 23 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहा हुए हैं. लेकिन, इसके बाद से अखिलेश यादव की ओर से कोई ख़ास प्रतिक्रिया नहीं देखने को मिली. वहीं आजम भी पार्टी को लेकर खामोशी की चादर ओढ़े नज़र आए. माना जा रहा है कि अखिलेश यादव जब आज़म खान से मिलने आएंगे तो वो उन्हें संयमित भूमिका निभाने की सलाह दे सकते हैं.  

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