UP News: कांवड़ यात्रा के दौरान सरकार द्वारा जारी किए गए दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के आदेश को लेकर जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक  देवबंदी उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमें इस बात को बहुत अच्छे तरीके से समझना चाहिए हमारा मुल्क अनेक अनेक धर्म के मानने वालों का मुल्क है इस मुल्क की खूबसूरती है कि सभी लोगों को अपने अपने तरीके से मजहबी रसुमात अदा करने की आजादी है और यही इस मुल्क की खूबसूरती है.

मौलाना इसहाक गोरा ने कहा कि हाल ही में एक आदेश सुनने को मिला है कि जो कांवड़  मार्गों पर दुकानदार है, ढाबे वाले हैं वह अपना नाम उजागर करें या अपने नाम की पहचान बताएं, तो कहीं ना कहीं यह आदेश लोगों में टीस पहुंचाने वाला आदेश है. सवाल यह है पैदा होता है कि यह क्यों जरूरी है अगर यह जरूरी है तो क्या और त्योहार पर भी मान्य होगा. जैसे और कम्युनिटी के लोगों के जो त्योहार होते हैं, चाहे वह मुस्लिम हों, ईसाई हों या फिर और मजहब के लोग हैं. यह आदेश लोगों में भय भी पैदा कर रहा है.

पेंट उतरवाकर चेक करना गलत

वहीँ उन्होंने हालिया घटना अपर बोलते हुए कहा कि एक खबर टीवी पर देखने को मिली है मुजफ्फरनगर में किसी ढाबे पर एक शख्स की पेंट उतरवा कर बाकायदा उसको देखा गया इसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है. सबसे पहले यह सवाल पैदा होता है कि यह लोग कौन हैं, इनको राइट किसने दिया है, लोगों को इस तरह से पहचाने. अगर इस तरह से आदेश करके लोगों में भय पैदा किया जाएगा तो मुस्लिम कम्युनिटी एवं अन्य कम्युनिटी के लोग व्यापार करना बंद कर देंगे. जिसके कारण कांवड़ियों को ही दिक्कत होगी. क्योंकि उनका सामान नहीं मिलेगा उनकी जरूरत की चीज नहीं मिलेगी.

सभी सुप्रीमकोर्ट के निर्देश मानें

मौलाना इसहाक गोरा ने अपील की कि त्यौहार को त्यौहार की तरह मनाया जाए और इस मुल्क की खूबसूरती है. सभी को एक साथ लेकर चला जाए पिछले वर्ष भी यह मामला सामने आया था, जिसमें माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश जारी किया था. हिंदुस्तान के तमाम लोगों को माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सर आंखों पर रखना चाहिए. त्योहारों पर और मजहब पर सियासत अच्छी चीज नहीं होती.

(सहारनपुर से मुकेश गुप्ता की रिपोर्ट )