UP News: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में एक ऐतिहासिक स्थल को लेकर धार्मिक तनाव की स्थिति बन गई. मामला इस बात पर अटक गया कि यह स्थान मकबरा है या मंदिर. घटना तब शुरू हुई जब कुछ लोग भगवा झंडा लेकर कथित रूप से एक मकबरे में पहुंचे. आरोप है कि वहां तोड़फोड़ और पथराव हुआ. मौके पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर हालात संभाले और फिलहाल इलाके में शांति है.

 मंगी मकबरा है 350 साल पुराना

मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मोहम्मद आसिफ का कहना है कि यह जगह मंगी मकबरा है, जो लगभग 350 साल पुराना है. उनके अनुसार यह मकबरा अब्दुल समद खान और उनके बेटे अबू मोहम्मद की कब्रों पर बना है, जिनकी मृत्यु 1699 और 1704 में हुई थी. उनका दावा है कि इस स्थल का उल्लेख 1881 की इंपीरियल गैजेटियर ऑफ इंडिया, 1906 की फतेहपुर गजेटियर और कई इतिहासकारों की किताबों में मिलता है. साथ ही पुलिस ने इस मामले में 10 नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.

दूसरी ओर हिंदू पक्ष का कहना है कि यह स्थल ठाकुर जी का मंदिर है और जमीन उनके पूर्वजों की थी. सतीश चंद्र रस्तोगी का दावा है कि जमीन का खसरा नंबर 1159 उनके पूर्वजों की जमींदारी में आता था. 1927-28 में कोर्ट से बंटवारा हुआ, लेकिन बाद में यह जमीन वक्फ घोषित हो गई. उनका कहना है कि यहां पहले एक शिव मंदिर था और सोमवार के दिन उन्होंने भगवान शंकर की पूजा की, देश के कल्याण और विश्व गुरु बनने की प्रार्थना की.

हाई कोर्ट में कब्जा हटाने की मांग को लेकर दी याचिका

विवाद की जड़ इस जगह की जमीन पर बने 34 मकानों से जुड़ी है, जिनके बारे में वक्फ के मतवल्ली ने हाई कोर्ट में याचिका देकर कब्जा हटाने की मांग की थी. अदालत ने जिलाधिकारी को कार्रवाई का निर्देश दिया, जो अभी विचाराधीन है.

फिलहाल, दोनों पक्ष अपने-अपने ऐतिहासिक और कानूनी दस्तावेजों के आधार पर दावे कर रहे हैं. मामला सिर्फ धार्मिक विवाद तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह जमीन के स्वामित्व और इतिहास की सच्चाई को लेकर कानूनी लड़ाई का रूप ले चुका है.

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