राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि राम मंदिर एकमात्र ऐसा आंदोलन था जिसका संघ ने समर्थन किया था और वह काशी और मथुरा सहित ऐसे किसी अन्य अभियान का समर्थन नहीं करेगा. विज्ञान भवन में अपनी तीन दिवसीय व्याख्यान शृंखला के अंतिम दिन सवालों के जवाब में, भागवत ने स्पष्ट किया कि आरएसएस के स्वयंसेवक ऐसे आंदोलनों में शामिल होने के लिए स्वतंत्र हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘राम मंदिर एकमात्र ऐसा आंदोलन रहा जिसका आरएसएस ने समर्थन किया है, वह किसी अन्य आंदोलन में शामिल नहीं होगा, लेकिन हमारे स्वयंसेवक इसमें शामिल हो सकते हैं. काशी-मथुरा में आंदोलनों का संघ समर्थन नहीं करेगा, लेकिन स्वयंसेवक इसमें भाग ले सकते हैं.’’ यह व्याख्यान शृंखला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित की गई थी.
इस कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) भाषाएं सीख सकती है लेकिन पूछा कि क्या यह भावनाओं को भी समझ सकती है. विज्ञान भवन में तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के अंतिम दिन एक प्रश्न के उत्तर में भागवत ने कहा कि संघ भी एआई को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा, '...इसके फायदे और नुकसान का अध्ययन करने के बाद... मुझे बताया गया है कि एआई का इस्तेमाल कविता लिखने के लिए किया जा सकता है... यह भाषाएं सीख सकता है, लेकिन क्या यह भावनाओं को समझ सकता है?'
RSS चीफ ने संन्यास की अटकलों पर भी लगाया विराम
इसके साथ ही मोहन भागवत ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि वह 75 साल की उम्र में पद छोड़ देंगे या किसी को इस आयु में संन्यास ले लेना चाहिए. भागवत की इस टिप्पणी ने नेताओं के संन्यास लेने संबंधी उनकी हालिया टिप्पणी पर चल रही अटकलों पर विराम लगा दिया है, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संदर्भ में देखा जा रहा था. मोदी और भागवत, दोनों अगले महीने 75 वर्ष के हो जाएंगे.