मुंबई, एंटरटेनमेंट डेस्क। 1958 में फिल्म 'रागिनी' से उन्होंने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद विनोद मेहरा ने 'अमर प्रेम', 'अनुराग', कुंवारा बाप' और  'लाल पत्थर' जैसी फिल्मों में यादगार रोल किया।

विनोद मेहरा अपनी मां से बेहद प्यार करते थे। विनोद मेहरा का फिल्मी करियर भी अपनी बुलंदियां छू रहा था। फिल्मी करियर की रफ्तार एकदम ट्रैक पर थी। इसी बीच उनकी मां ने विनोद मेहरा की शादी मीना ब्रोका से करा दी। शादी के बाद विनोद मेहरा को दिल का दौरा पड़ा और उसके बाद वो ठीक तो हो गए लेकिन उनका रिश्ता ठीक नहीं चल रहा था।

फिर उसके बाद विनोद मेहरा का दिल एक्ट्रेस बिंदिया गोस्वामी पर आ गया था। फिर उसके बाद क्या था, विनोद मेहरा ने अपनी पहली पत्नी से बिना तलाक लिए बिंदिया से शादी रचा ली और कई साल के बाद विनोद मेहरा ने पत्नी मीना को तलाक दे दिया। समय का खेल तो देखिए, कुछ समय बाद बिंदिया गोस्वामी ने विनोद मेहरा को छोड़ निर्देशक जेपी दत्ता से शादी कर ली।

एक समय ऐसा भी था कि विनोद मेहरा और रेखा के लव अफेयर के चर्चे खूब सुर्खियां बटोर रही थी। यासीर उस्मान की किताब 'रेखा: एन अनटोल्ड स्टोरी' के मुताबिक, विनोद मेहरा ने रेखा से शादी की थी और दोनों ने शादी कोलकाता के एक मंदिर में की थी। इसके बाद विनोद मेहरा जब रेखा को घर लेकर आए। जब विनोद मेहरा रेखा को अपने घर ले गए तो उनकी मां कमला ने रेखा को बहू के रूप में स्वीकार नहीं किया। रेखा जब विनोद मेहरा की मां के पैर छूने लगी तो कमला मेहरा ने रेखा को धक्का दे दिया।

विनोद मेहरा की मां ने उनकी शादी नहीं स्वीकार करने के साथ रेखा को घर में घुसने भी नहीं दिया था। इस दौरान उन्होंने रेखा को खूब खरी खोटी सुनाई और गालियां दीं। उस वक्त विनोद मेहरा ने रेखा से उनके घर चले जाने के लिए कहा और फिर क्या था विनोद मेहरा को ये रिश्ता खत्म करना पड़ा। आपको बता दे, दोनों ने कभी भी अपने इस रिश्ते को स्वीकारा नहीं किया।

विनोद मेहरा का जन्म 13 फरवरी 1945 को अमृतसर में हुआ था और 30 अक्टूबर 1990 को यानि आज के दिन 45 साल की उम्र में विनोद मेहरा ने दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था। विनोद मेहरा भारतीय सिनेमा के एक सफल अभिनेता में से एख थे। करीब 100 फिल्मों में काम करने वाले विनोद मेहरा की लाइफ में काफी उतार-चढ़ाव रहे। चालिए आपको उनकी जिंदगी से जुड़ा एक खास किस्सा बताते है।

विनोद मेहरा ने एक हीरो के तौर पर अपने करियर की शुरुआत 1971 में फिल्म 'एक थी रीता' से की थी। विनोद ने अपने करियर में लाल पत्थर (1972), अनुराग (1972), सबसे बड़ा रुपैया (1976), नागिन (1976), अनुरोध (1977), साजन बिना सुहागन (1978), घर (1978), दादा (1979), कर्तव्य (1979), अमर दीप (1979), जानी दुश्र्मन (1979), बिन फेरे हम तेरे (1979), द बर्निंग ट्रेन (1980), टक्कर (1980), ज्योति बने ज्वाला (1980), प्यारा दुश्र्मन (1980), ज्वालामुखी (1980), साजन की सहेली (1981), बेमिसाल (1982), स्वीकार किया मैंने (1983) लॉकेट (1986, प्यार की जीत (1987) जैसी फिल्में की हैं।