अलीगढ़ नुमाइश ग्राउंड में इस बार दशहरा पर्व को लेकर जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं. खासतौर पर रावण दहन को लेकर इस बार एक नया और अनोखा प्रयोग किया जा रहा है. अब तक लोग लंका दहन के दौरान रावण को रोते हुए देखते आए हैं, लेकिन इस बार जब रावण का पुतला जलेगा तो वह रोने के बजाय हंसता हुआ नजर आएगा. यह नया प्रयोग लोगों के लिए रोमांच और आकर्षण का केंद्र बनेगा.
रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले बनाने का जिम्मा इस बार भी कारीगर मोहम्मद शौकत ने संभाला है. शौकत मूल रूप से बुलंदशहर जिले के दानपुर गांव के रहने वाले हैं और पिछले कई दशकों से अलीगढ़ में रावण के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं. उनकी कला और मेहनत के कारण हर साल दशहरा पर्व पर भव्य और विशालकाय पुतले देखने को मिलते हैं. शौकत का कहना है कि उनके पूर्वज भी यही काम करते थे और अब यह परंपरा उनकी पीढ़ियों में चली आ रही है.
दशहरा पर क्या रहेगा खास?
इस बार अलीगढ़ में तैयार हो रहे पुतलों की खासियत यह है कि रावण का पुतला 60 फीट ऊंचा बनाया जा रहा है. वहीं, उसके साथ मेघनाद और कुंभकरण के पुतले भी खड़े होंगे जिनकी ऊंचाई 55 फीट होगी. शौकत बताते हैं कि इतने बड़े पुतले बनाने में न केवल समय और मेहनत लगती है, बल्कि इसके लिए टीमवर्क और धैर्य की भी आवश्यकता होती है. रावण दहन के दौरान खास तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा.
इस बार रावण की गर्दन घूमेगी और पुतले में लगाया गया विशेष मैकेनिज़्म उसे हंसता हुआ प्रदर्शित करेगा. शौकत बताते हैं कि यह प्रयोग उन्होंने पहली बार किया है और इसके लिए उन्होंने खास तैयारी की है. लकड़ी, बांस, कपड़ा, रंगीन कागज और आतिशबाजी की सामग्री का प्रयोग इस तरह से किया गया है कि जब पुतला जलेगा तो दर्शकों को एक अलग अनुभव मिलेगा.
हंसते हुए पुतले का क्या है संदेश
रावण के हंसते हुए पुतले का संदेश भी दिलचस्प है. शौकत के अनुसार, रावण का हंसना यह दर्शाता है कि बुराई कभी आसानी से खत्म नहीं होती. बुराई का अंत करने के लिए समाज को एकजुट होकर आगे बढ़ना पड़ता है. यह संदेश लोगों तक बेहतर तरीके से पहुंचे, इसी उद्देश्य से इस बार रावण को हंसते हुए दिखाया जाएगा.
अलीगढ़ नुमाइश ग्राउंड में दशहरे के मौके पर हर साल हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं. यहां आयोजित होने वाला रावण दहन पूरे जिले में ही नहीं, बल्कि आसपास के इलाकों में भी प्रसिद्ध है. इस बार भी पंडाल सजाए जा रहे हैं, झांकियों की तैयारी की जा रही है और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन सतर्क है.
दशहरा समिति के आयोजकों का कहना है कि इस बार कार्यक्रम और भी भव्य होगा. मंच पर राम-लक्ष्मण और हनुमान की भूमिका निभाने वाले कलाकारों की विशेष प्रस्तुति होगी. वहीं, आतिशबाजी का आकर्षण भी दोगुना कर दिया गया है. लोगों को उम्मीद है कि इस बार रावण के हंसते हुए दहन का दृश्य बच्चों और युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय होगा.
क्या कहते हैं पुतला बनाने वाले कारीगर शौकत?
कारीगर शौकत ने बताया कि पुतलों को बनाने में लगभग एक महीने का समय लगता है. इस दौरान उनकी टीम दिन-रात मेहनत करती है. पहले बांस और लकड़ी से ढांचा तैयार किया जाता है, फिर उस पर कपड़े और रंगीन कागज चढ़ाया जाता है. उसके बाद आतिशबाजी की सामग्री को सावधानीपूर्वक फिट किया जाता है.
कारीगर ने बताया खासकर रावण के पुतले में इस बार लगाए गए तकनीकी उपकरण उनकी मेहनत और कला का सबूत हैं. उन्होंने कहा कि रावण के पुतले को बनाना केवल एक पेशा नहीं, बल्कि यह उनकी परंपरा और पहचान है. हर साल जब लोग उनके बनाए पुतलों को देखकर खुश होते हैं तो उन्हें गर्व महसूस होता है. इस बार भी वे उम्मीद करते हैं कि दर्शकों को उनका नया प्रयोग बेहद पसंद आएगा.