Ramcharitmanas Row: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस (Ramcharitmanas) के बारे में की गई विवादित टिप्पणी को लेकर उठे विवाद के बीच समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के वरिष्ठ नेता और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने भी इस ग्रंथ के विषय में विवादित बयान दिया है. मौर्य ने तुलसीदास (Tulsidas) द्वारा रचित रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए पाबंदी लगाने की मांग की है कि उनसे समाज के एक बड़े तबके का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता है.

एमएलसी के इस बयान के बाद न केवल विपक्षी नेता बल्कि पार्टी के भी नेताओं ने उनपर तीखा हमला बोला है. सपा नेता ऋचा सिंह ने कहा, "छद्म समाजवादी स्वामी प्रसाद मौर्य को लोहिया जी के समाजवाद को पढ़ना चाहिए जो समाजवाद और श्रीराम में सामंजस्य देखते हैं. साथ ही इस बात का भी स्पष्टीकरण देना चाहिए अभी तक अपनी बेटी को उन्होंने समाजवाद रास्ता क्यों नहीं दिखाया या वो भी अवसर आने पर."

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क्या दिया था बयान?वहीं पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बातचीत में कहा 'धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है. अगर रामचरितमानस की किन्ही पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं बल्कि अधर्म है. रामचरितमानस में कुछ पंक्तियों में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है.'

मौर्य ने कहा 'इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं. इसी तरह से रामचरितमानस की एक चौपाई यह कहती है कि महिलाओं को दंड दिया जाना चाहिए. यह उन महिलाओं की भावनाओं को आहत करने वाली बात है जो हमारे समाज का आधा हिस्सा हैं."