जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा भारत में कुछ इलाकों को मिनी पाकिस्तान कहे जाने पर अब किसान नेता राकेश टिकैत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. किसान नेता राकेश टिकैत ने साफ कहा कि यदि इसी तरह का बयान किसी मुस्लिम धर्मगुरु ने दिया होता, तो उसके खिलाफ अब तक सख्त कार्रवाई हो चुकी होती. उन्होंने चेताया कि महाराज जैसे सम्मानित धार्मिक व्यक्ति को ऐसे विवादित बयान नहीं देने चाहिए.
किसान नेता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि इस तरह के बयान सरकार के एजेंडे का हिस्सा हैं और धर्मगुरु भी वही बोल रहे हैं, जो सरकार चाहती है. उन्होंने कहा, “सरकार चाहती है कि ऐसे बयान दिए जाएं, ताकि समाज में बहस और बंटवारा हो. दुर्भाग्य से अब हमारे धर्मगुरु भी इस साजिश का हिस्सा बनते जा रहे हैं, जबकि उन्हें इससे दूर रहना चाहिए."
वहीं राकेश टिकैत ने यह भी दावा किया कि भारत की वैश्विक छवि इन धार्मिक और सामाजिक बयानों के कारण धूमिल हो रही है. उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत को अब जाति, धर्म, भाषा और लिंग के आधार पर बंटे हुए देश के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि विवादित बयान सरकार विवादित बयान चाहती है इन पर बहस और हमारे जो धर्मगुरु हैं वह भी इस बहस का हिस्सा बन गए हैं उनको नहीं बनना चाहिए. दुनिया में भारत की छवि खराब है इन मुद्दों पर कि वहां पर लैंगिक के आधार पर, भाषा के आधार पर, वहां पर जाति और धर्म के आधार पर बंटवारा होता है, वहां पर यह हमको कहा गया है. जो सरकार का एजेंडा है बहुत से धर्मगुरु उस एजेंडे को फॉलो कर रहे हैं जैसे पाकिस्तान में है.
श्रीलंका दौरे पर थे किसान नेता राकेश टिकैत
दरसअल राकेश टिकैत पिछले कुछ दिनों से श्रीलंका दौरे पर थे जिसके चलते हैं वह सोमवार रात ही मुजफ्फरनगर के नगर में स्थित अपने आवास पर पहुंचे थे. जहां किसानों ने उनका जोरदार स्वागत किया था और इस दौरान ही उन्होंने मीडिया से बात की. उन्होंने बताया कि लावया एक कैंपसीना एक संगठन था, अब एक दुनिया में नया फार्म बना है. लली एक संगठन है उसकी तीसरी कॉन्फ्रेंस थी ये पहली माली में हुई फिर दूसरी और यह तीसरी श्रीलंका में हुई. यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिस पर किसान व्यापारी आदिवासी महिलाएं वहां पर कोई भेदभाव नहीं है. स्टूडेंट और जो भी संस्थाएं हैं, देश में चाहे वह पर्यावरण पर काम कर रही हैं चाहे किसी और पर काम कर रही है वह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है कि दुनिया का कोई भी संगठन अपनी बात उस प्लेटफार्म पर रख सकता है.
काला कानून के नाम को बताया रंगभेद- राकेश टिकैत
राकेश टिकैत ने कहा कि करीब-करीब अगर लगाए तो 2000 के करीब आदमी थे, 850 के आसपास वहां डेलिगेट्स थे और स्टाफ था. वहां पर पर्यावरण का मुद्दा रहा अगर किसान है तो वहां पर है फसलों की बात करी है वहां पर जो आदिवासी लोग हैं उनकी भूमि पूरी दुनिया में कैसी छीनी जा रही है तो उसकी वहां पर बातचीत हुई. रंग-भेद अब जैसे वहां पर एक सवाल आया जैसे हम लोग यहां के हैं जो तीन कानून थे उनको काला कानून कहते थे यह उन लोगों को पता था कि काला कानून भारत में इसको कहते हैं, उन्होंने हमको पहले दिन ही कहा कि यह रंगभेद में आता है. आप इसको काल नहीं कहोगे लेकिन साउथ एशिया की तरफ स्पीच देने लगे तो बार-बार हमारे दिमाग में क्योंकि हमने पिछले 5 साल से कानून को काला हमने कहा, उस शब्द को रोका वह शब्द वहां से हटाया गया है.
हमारे देश में टेररिस्ट का मतलब है आतंकवादी- राकेश टिकैत
उन्होंने कहा कि वहां पर कुछ जगह शब्दों को आंदोलनकारी कहते हैं यहां पर उसको टेररिस्ट कहते हैं और वहां पर कुछ देश में आलोदंकारी को टरिस्ट कहते हैं. हमने उस पर कहा कि हमारे देश में टेररिस्ट का मतलब है आतंकवादी तो इस तरह भाषाओं का वह था बहुत बढ़िया प्रोग्राम रहा लली एक अच्छा प्लेटफार्म है दुनिया का और वहां पर पूरी रिपोर्टिंग हुई पूरा ड्राफ्ट हमने दिया है आप लोगों के पास आया भी होगा. जो डिक्लेरेशन है वह दिया है और यूएनए तक उसकी रिपोर्ट जाएगी.