इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) के कर्मचारियों के पक्ष में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जिसमें कोर्ट ने कहा कि यदि कर्मचारी जून 2025 में काम करने का सबूत पेश करते हैं, तो उनका रोका गया वेतन जारी किया जाएगा. हालांकि यह आदेश बायोमैट्रिक उपस्थिति से छूट नहीं देता.

यह मामला सत्यनारायण उपाध्याय और नौ अन्य कर्मचारियों की याचिका से जुड़ा है, जिसे न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने निस्तारित किया.

ये है याचिकाकर्ताओं की शिकायत

दरअसल मामला तब सामने आया जब PVVNL ने जून 2025 का वेतन रोक दिया, क्योंकि कर्मचारियों ने ‘ऊर्जा जनशक्ति’ ऐप पर बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज नहीं की. इस पर याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि वे फील्ड में रहते हैं, जहां इंटरनेट की कमी के कारण ऐप काम नहीं करता. सत्यनारायण उपाध्याय ने कोर्ट में कहा कि तकनीकी दिक्कतों के बावजूद उनका काम प्रभावित नहीं हुआ. इसलिए वेतन रोकना गलत है.

विभाग का पक्ष बायोमैट्रिक अनिवार्य चुनौती नहीं दी जा सकती

विधुत विभाग के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि बायोमैट्रिक सिस्टम 23 सितंबर 2024 की अधिसूचना के तहत अनिवार्य है, जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती. साथ ही कर्मचारियों ने इंटरनेट समस्या की शिकायत समय पर नहीं की, जिससे वेतन रोकना उचित था.

कर्मचारी कार्य के सुबूत पेश करें

मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जून 2025 में तकनीकी दिक्कतों की जानकारी विभाग को नहीं दी. यदि इंटरनेट समस्या थी तो वे पावर स्टेशन में ड्यूटी का प्रमाण दे सकते थे. कोर्ट ने कर्मचारियों को विभागीय अधिकारी से संपर्क कर काम का सबूत पेश करने का निर्देश दिया.

काम साबित होने पर देना होगा वेतन

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सत्यापन के बाद यदि काम साबित होता है, तो विभाग को जून का वेतन जारी होगा, लेकिन बायोमैट्रिक नियम लागू रहेंगे.

कोर्ट के बाद अब कर्मचारियों को अपने विभाग में अपने कार्य के सुबूत देने होंगे, अगर फिर भी विभाग वेतन जारी नहीं करता है तो कोर्ट अगली कार्यवाही करेगा.