गोरखपुर: विश्‍व प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति पर खिचड़ी मेला की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई है. मुख्‍य मंदिर से लेकर परिसर में स्थित छोटे-बड़े अन्‍य मंदिरों में भी रंग-रोगन का काम चल रहा है. वैश्विक महामारी को देखते हुए मकर संक्रांति पर कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन किया जाएगा. मकर संक्रांति पर लाखों की संख्‍या में श्रद्धालु हर साल खिचड़ी चढ़ाने के लिए आते हैं. खिचड़ी मेला की तैयारियों को लेकर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने भी गोरखपुर प्रवास के दौरान अधिकारियों के साथ बैठक कर आवश्‍यक दिशा-निर्देश दिए हैं.

बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा

गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर की पूरे विश्‍व में बहुत मान्‍यता है. माना जाता है कि बाबा गोरखनाथ के दरबार में सच्‍चे मन से मांगी गई हर मुरादें पूरी होती हैं. गोरखनाथ मंदिर के कार्यालय सचिव द्वारिका तिवारी ने बताया कि हर साल यहां पर मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परम्‍परा है. यहां पर खिचड़ी के पर्व पर एक माह का मेला भी लगता है. मान्‍यता है कि हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा में ज्‍वाला देवी ने बाबा गोरखनाथ को भोज पर आतिथ्‍य स्‍वीकार करने का आग्रह किया. बाबा गोरखनाथ ने वहां पहुंचकर उनसे कहा कि वे योगी हैं. भिक्षाटन में मिला भोजन ही ग्रहण करते हैं. उन्‍होंने ज्‍वाला देवी को पानी गरम कर भिक्षाटन कर आने की बात कही.

ज्वाला देवी से जुड़ी कहानी

बाबा गोरखनाथ वहां से भिक्षाटन के लिए निकले और वनाच्‍छादित क्षेत्र गोरखपुर में अखण्‍ड धूनी सजाकर तप करने लगे. इसके बाद यहां पर लोगों ने उनके लिए कच्‍ची खिचड़ी चढ़ाना शुरू किया. सदियों पुरानी उसी परम्‍परा का आज भी लोग पालन करते चले आ रहे हैं. कहा जाता है कि हिमांचल के कांगड़ा में आज भी ज्‍वाला देवी के दरबार में पानी उबल रहा है. लेकिन, तभी से बाबा गोरखनाथ यहां पर तप करने लगे. बरसों से चली आ रही इस परम्‍परा का आज भी निर्वहन करने के लिए श्रद्धालु इस दरबार में मकर संक्रांति के दिन आते हैं. यहां पर एक माह तक मेला लगता है. मेले में बच्‍चों के झूले के अलावा विभिन्‍न प्रकार के अन्‍य करतब और जादू दिखाने वाले भी आते हैं.

एक महीने लगता है मेला 

गोरखनाथ मुख्‍य मंदिर के पुजारी योगी रामेन्‍द्र नाथ ने बताया कि बाबा गोरखनाथ के दरबार में हर साल मकर संक्रांति पर लगने वाले मेले में देश और विदेश से श्रद्धालु आते हैं. यहां पर बाबा के दरबार में खिचड़ी चढ़ाने की परम्‍परा है. संतान प्राप्ति के लिए भी यहां पर लोग मन्‍नतें मांगने के लिए आते हैं. उन्‍होंने बताया कि बाबा गोरखनाथ सदियों पहले यहां पर तप करने लिए आए और धूनी रमाकर तप करने लगे. आज भी ये धूनी वैसे ही जल रही है. हिमांचल के कांगड़ा में ज्‍वाला देवी के दरबार में आज भी उनका इंतजार हो रहा है. उनके खिचड़ी के लिए पात्र में पानी उबल रहा है. यहां पर मकर संक्रांति पर एक माह का मेला भी लगता है. इस बार कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन भी किया जाएगा.

गोरखनाथ मंदिर में दर्शन करने देवरिया से आए श्रद्धालु संतोष पाण्‍डेय ने बताया कि वे 10 साल से यहां पर आ रहे हैं. वे बताते हैं कि पूरे परिवार के साथ यहां पर आए हैं. हर साल यहां पर लगने वाले मकर संक्रांति के पर्व पर वे यहां पर खिचड़ी चढ़ाने आते हैं. इस बार भी वे आएंगे. वे कहते हैं कि यहां पर उन्‍होंने मेला भी देखा है. काफी अच्‍छा लगता है. संतोष की पत्‍नी रागिनी पाण्‍डेय बताती हैं कि वे गोरखनाथ मंदिर में दर्शन करने आई है. वे यहां पर कई बार आ चुकी हैं. यहां पर हर साल खिचड़ी पर मेला लगता है. यहां पर मन्‍नत मांगने पर पूरी हो जाती है. उन्‍होंने बताया कि वे इस बार भी यहां पर मकर संक्रांति पर आएंगी.

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