Maha Kumbh 2025: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक रडार इमेजिंग उपग्रह ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ की तस्वीरें भेजी हैं. हैदराबाद में इसरो के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने रडारसैट - रीसैट-1ए द्वारा ली गई तस्वीरें जारी की हैं. इन तस्वीरों में महाकुंभ में बड़े पैमाने पर बदलाव देिख रहे हैं. इन तस्वीरों में टेंट सिटी, सड़कें और नदी पर बने पांटून पुल दिख रहे हैं.
NRSC के निदेशक डॉ प्रकाश चौहान ने कहा कि रडारसैट का इस्तेमाल इसलिए किया गया क्योंकि यह बादलों के बीच से तस्वीरें क्लिक कर सकता था.
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि महाकुंभ मेला इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि कैसे प्रौद्योगिकी और परंपरा एक साथ आकर सभी के लिए स्वच्छ, स्वस्थ भविष्य का निर्माण कर सकते हैं.
NRSC ने दी ये अहम जानकारीNRSC के अनुसार तस्वीरें 15 सितंबर, 2023 (कुंभ मेला आयोजन से पहले) और 29 दिसंबर, 2024 की हैं. ये तस्वीरें EOS-04 (RISAT-1A) 'C' बैंड माइक्रोवेव उपग्रह द्वारा ली गई हैं, जिसमें सभी मौसमों में काम करने की क्षमता और बेहतरीन रिज़ॉल्यूशन (FRS-1, 2.25m) है.
Ganga ExpressWay और पूर्वांचल एक्सप्रेस से जुड़ेंगे ये 6 जिले, सीएम योगी ने किया ऐलान
बता दें महाकुंभ, हर 12 साल में आयोजित होने वाला बड़ा धार्मिक आयोजन है जो 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू हो चुका है और 45 दिनों तक चलेगा। अब तक सात करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। महाकुंभ नगर के अतिरिक्त जिलाधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने कहा कि 15 लाख से अधिक कल्पवासियों के पहुंचने की उम्मीद है.
महाकुंभ में संगम और 4,000 हेक्टेयर में फैले ‘अखाड़ा’ क्षेत्र के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम कर रहे हैं ढाई हजार साल पुरानी फारसी तकनीक से प्रेरित पीपे के पुल. तीस पुलों के निर्माण के लिए जरूरी पीपे बनाने के वास्ते 1,000 से अधिक लोगों ने एक वर्ष से अधिक समय तक प्रतिदिन कम से कम 10 घंटे काम किया.