Maha Kumbh News: गंगाजल जो हर सनातनी के घर में होता है, कोई भी धार्मिक अनुष्ठान गंगाजल के बिना पूरा नहीं होता है, गंगाजल धर्मशास्त्र ही नहीं वैज्ञानिकता की कसौटी पर खरा उतरता है लेकिन अब गंगाजल की शुद्धता पर सियासी बवाल शुरू हो गया है.
महाकुंभ को लेकर अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार की रिपोर्ट के आधार पर महाकुंभ के पुण्य और योगी सरकार की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिये हैं, तो जवाब में यूपी से दिल्ली तक बीजेपी की फौज भी खड़ी हो गई है.
मोक्षदायिनी गंगा और पवित्र यमुना पर त्रिवेणी संगम में रोगदायिनी होने का ठप्पा उस वक्त लगाया जा रहा है. जब महाकुंभ समापन की ओर है, मानकर चलें कि इन आखिरी 5 दिनों में अभी और 5 करोड़ लोगों को यहां डुबकी लगानी है.
CPCB यानी सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 17 फरवरी को NGT में रिपोर्ट दाखिल की. जिसमें उसने कहा कि उसने 12 से 20 जनवरी तक प्रयागराज में 73 जगह सैंपल लिए. अधिकतर सैंपल में फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया ज्यादा मिला. 20 जनवरी को संगम के गंगा जल में बैक्टीरिया 20 गुना ज्यादा था. 81 में से 44 नालों का पानी बिना ट्रीटमेंट सीधे नदी में जा रहा है. कुंभ सिटी के डेढ़ लाख टॉयलेट का पानी भी नदी में पहुंच रहा है. यानी CPCB की रिपोर्ट मानें तो लोग प्रदूषित जल में स्नान करके गए हैं, मुमकिन है फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया की चपेट में आकर बुखार, पेट खराबी, स्किन एलर्जी से जूझ रहे हों.
UPPCB ने NGT में 549 पेज की रिपोर्ट दी
वहीं एक पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड यूपी की राज्य सरकार का भी है, जिसने CPCB की रिपोर्ट को बकवास बता दिया UPPCB ने NGT में 549 पेज की रिपोर्ट दी. उसमें बताया कि 9 जनवरी को नदी में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया 2200 यूनिट था. डायल्यूट ऑक्सीजन और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड मानक है. सिर्फ एक जगह शास्त्री पुल के नीचे फीकल कोलीफार्म बढ़ा हुआ मिला. 3 नाले सूखे हैं, बाकी नालों से ट्रीटमेंट के बाद ही पानी छोड़ा जा रहा है. नदी में कहीं भी कचरा नहीं जाने दिया जा रहा, निगरानी की जा रही है.
UPPCB ने सवाल उठाए कि कहीं CPCB ने जान-बूझकर ऐसी जगहों से ही सैंपल तो नहीं लिये जहां पानी गंदा था? इस पर उसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की फटकार पड़ गई. पहली रिपोर्ट है कि संगम का पानी स्नान के योग्य नहीं है. दूसरी रिपोर्ट कहती है स्नान तो क्या आचमन भी आराम से कर सकते हैं. केंद्र की रिपोर्ट कहती है संगम में नालों का पानी जा रहा है. यूपी की रिपोर्ट कहती है, ट्रीटमेंट करके ही पानी छोड़ा जा रहा है. पहली रिपोर्ट कहती है फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया बीमार कर देगा, दूसरी रिपोर्ट कहती है बैक्टीरिया की मात्रा मानक से कम है.
महाकुंभ में करीब 60 करोड़ लोग कर चुके हैं स्नान
संगम जिसका अर्थ ही अलग-अलग धाराओं का मिलन हो जाना है लेकिन संगम के इसी तट पर फिलहाल दो सियासी विरोधियों का बवाल मचा हुआ है, एक तरफ हैं सीएम योगी और दूसरी तरफ अखिलेश यादव. महाकुंभ में अब तक करीब 60 करोड़ लोग स्नान कर चुके हैं, जिसमें सीएम योगी और खुद अखिलेश यादव शामिल हैं. लेकिन एक महीने बाद अखिलेश यादव ने दावा किया है कि संगम का पानी स्नान करने लायक नहीं है.
स्नान करने लायक भी नहीं संगम का पानी- अखिलेश यादव
सपा चीफ अखिलेश यादव ने कहा गंगा का पानी है जो संगम का पानी है, त्रिवेणी में जो पानी है, वो स्नान करने लायक भी नहीं है. अगर हम दिल्ली वालों की बात मानें तो लखनऊ वाले दिल्ली वालों को भी सनातनी नहीं मानेंगे क्योंकि वो विरोध कर रहे हैं. दिल्ली से अखिलेश का अर्थ केंद्र सरकार से हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट को आधार बनाकर समाजवादी पार्टी महाकुंभ के पानी को स्नान लायक नहीं बता रही.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की इस रिपोर्ट का जिक्र शिवपाल यादव ने 19 फरवरी को विधानसभा में किया तो जवाब देने खुद सीएम योगी आए थे. सीएम योगी ने कहा कि प्रयागराज के संदर्भ में मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि 12, 16, 20 और 25 और 30 जनवरी 5, 10 और 13 फरवरी को सैंपल के परीक्षण लिए गए हैं, उसमें संगम नोज पर फेकल कॉलीफॉर्म की मात्रा मानक के अनुरूप पाई गई है, ये यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का है.
UPPCB की रिपोर्ट पर एनजीटी नहीं संतुष्ट
यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी एनजीटी के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिस पर एनजीटी संतुष्ट नहीं हुआ और कई सख्त सवाल किए, अब उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई रिपोर्ट दाखिल करेगा जिस पर 28 फरवरी को सुनवाई होनी है.
कुंभ में गिद्द दृष्टि लगाये हुए हैं अखिलेश- केशव प्रसाद मौर्य
वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव के बयान पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव सनातन को बदनाम करना चाहते हैं. अखिलेश कुंभ में गिद्द दृष्टि लगाये हुए हैं. अखिलेश सनातन विरोधी है,अखिलेश कुम्भ की सफलता से परेशान है.
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