Uttar Pradesh News: संगम नगरी प्रयागराज में डेंगू (Dengue) के मामले लगातार तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. यहां अब तक तकरीबन एक हजार लोगों की एलाइजा रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है. इसके साथ ही आधा दर्जन मौतें भी हो चुकी है. हालांकि ये सरकारी आंकड़े जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं. जिले में डेंगू के मच्छरों ने अब स्कूलों में भी डंक मारना शुरू कर दिया है.
यहां पिछले हफ्ते शहर के एक नामचीन स्कूल में डेंगू पीड़ित एक टीचर की क्लास रूम में ही मौत हो गई थी. अब सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध वाईएमसीए स्कूल के डेढ़ दर्जन के करीब टीचर्स डेंगू और वायरल बुखार की चपेट में आ गए. तमाम टीचरों के बीमार होने के बाद स्कूल को बंद कर दिया गया.
कोर्ट ने अफसरों को दिये आदेश
प्रयागराज में हालात इतने बदतर होते जा रहे हैं कि डेंगू अब कोरोना की तरह महामारी का रूप लेता जा रहा है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी आज जिले में डेंगू के हालात पर गहरी नाराजगी जताते हुए अफसरों को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकारी अधिकारी आंकड़ों की बाजीगरी में लगे हुए हैं, जबकि जमीनी हकीकत एकदम अलग है. कोर्ट ने अफसरों को 48 घंटे में व्यवस्थाएं दुरुस्त करने का आदेश दिया.
साथ ही डीएम और सीएमओ समेत तमाम अफसरों को 4 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से तलब भी किया गया. प्रयागराज में डेंगू भले ही खतरनाक रूप लेता जा रहा है लेकिन सरकारी अमला साफ-सफाई और एंटी लारवा के छिड़काव में फिसड्डी साबित हो रहा है. ज्यादातर काम सरकारी फाइलों तक ही सीमित है. कहा जा सकता है कि महामारी जैसे हालात में भी व्यवस्थाएं राम भरोसे ही चल रही है, क्योंकि प्लेटलेट्स को लेकर भी मारामारी की नौबत है.
सरकारी अस्पतालों में इंतजाम बेहतर
यहां खराब प्लेटलेट्स चढ़ाए जाने से करीब दो हफ्ते पहले एक मरीज की मौत हो गई थी. हालांकि राहत की बात सिर्फ इतनी है कि इस बार सरकारी अस्पतालों में इलाज के इंतजाम सिर्फ संतोषजनक ही नहीं, बल्कि बेहतर कहे जा सकते हैं. स्वास्थ्य विभाग निजी अस्पतालों पर भी नकेल कसते हुए उन्हें मनमानी नहीं करने दे रहा है. प्रयागराज में हालात भले ही लगातार बिगड़ते जा रहे हैं, लेकिन सरकारी अमला इसे पूरी तरह काबू में बता रहा है. साथ ही यह दावा भी कर रहा है कि डेंगू का प्रकोप अब धीरे-धीरे कुछ कम भी होने लगा है.
सीएमओ ऑफिस द्वारा जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक प्रयागराज में बुधवार को भी डेंगू के 37 नए मामले आए हैं. आंकड़ों के मुताबिक जिले में अब तक 938 लोगों की एलाइजा रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. हालांकि ज्यादातर लोगों का एलाइजा टेस्ट वायरल बुखार के शुरुआती दिनों में ही कर लिया जाता है, इस वजह से उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आती है.
सरकारी अमले का दावा है कि इस बार तमाम सरकारी अस्पतालों के कई वार्डों को डेंगू और संदिग्ध बुखार के मरीजों के लिए रिजर्व कर दिया है गया है. इस वजह से अब पिछले एक हफ्ते से मरीजों को भर्ती करने में दिक्कत नहीं आ रही है.
प्लेटलेट्स की कालाबाजारी का आरोप
प्रयागराज के नामचीन संत जोसेफ स्कूल के टीचर अल्फ्रेड सुमित कुजुर डेंगू की बीमारी से कुछ राहत मिलने के बाद पिछले हफ्ते स्कूल आए थे. यहां क्लास रूम में ही गिरकर उनकी मौत हो गई थी. अब शहर के सिविल लाइंस इलाके में सीबीएससी बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त वाईएमसीए स्कूल के डेढ़ दर्जन से ज्यादा टीचर्स डेंगू और वायरल बुखार की चपेट में हैं. इसके चलते स्कूल को बंद कर दिया गया. हालांकि स्कूल प्रशासन का दावा है कि एक से दो दिनों के अंदर इस स्कूल को फिर से खोल दिया जाएगा और यहां कक्षाएं पहले की तरह चलने लगेंगी.
डेंगू पीड़ित मरीजों और उनके तीमारदारों को सबसे ज्यादा दिक्कत प्लेटलेट्स हासिल करने में हो रही है. आरोप है कि प्लेटलेट्स की कालाबाजारी तक हो रही है. वैसे खून और प्लेटलेट्स की कालाबाजारी करने वाले दो गिरोहों का प्रयागराज पुलिस ने पिछले कुछ दिनों में पर्दाफाश भी किया.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के दखल और अफसरों को फटकार लगाए जाने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि सरकारी अमला अब जल्द ही सक्रिय हो जाएगा. साथ ही मुस्तैदी के साथ काम करते हुए सरकारी फाइलों के बजाय ग्राउंड जीरो पर भी साफ-सफाई और एंटी लारवा के छिड़काव का इंतजाम करेगा.
वैसे शहर के ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि नगर निगम डेंगू की रोकथाम कर सकने में पूरी तरह फिसड्डी साबित हो रहा है. कुछ खास जगहों को छोड़कर एंटी लारवा का छिड़काव नहीं हो रहा है और ना ही फागिंग की जा रही है. जहां यह काम हो भी रहे हैं वहां नियमित तौर पर छिड़काव और फागिंग नहीं हो रही है.
4 नवंबर तक रिपोर्ट सौंपने के आदेश
हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की डिवीजन बेंच ने आज इस मामले में सुनवाई करते हुए साफ तौर पर कहा है कि सरकारी आंकड़े और इंतजाम दोनों ही जमीनी हकीकत से काफी दूर है. अफसरों को आंकड़ों की बाजीगरी के बजाय ग्राउंड पर ऐसे काम करने चाहिए जो लोगों को नजर भी आए.
हाई कोर्ट ने प्रयागराज के डीएम-सीएमओ और नगर आयुक्त समेत कई अफसरों को 4 नवंबर को कोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर पेश होकर ग्राउंड रिपोर्ट सौंपने को कहा है. अगर हाई कोर्ट उस दिन भी सरकारी अमले के कदमों से संतुष्ट नहीं हुआ तो कुछ वकीलों को कोर्ट कमिश्नर के तौर पर नियुक्त कर हकीकत का पता लगाने के लिए कह सकता है.