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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G20 Summit 2019 में हिस्सा लेने के लिए जापान में हैं। जहां गुरुवार (27 जून) को उन्होंने कोवे के गेस्ट हाउस में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया। पीएम ने कहा, 'सात महीने बाद एक बार फिर मुझे जापान की धरती में आने का मौका मिला। पिछले बार जब मैं आया था तब मेरे मित्र शिंजो आबे पर भरोसा कर आपने उन्हें जिताया था। इस बार जब मैं आया हूं तब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत ने इस प्रधान सेवक पर पहले से ज्यादा प्यार और विश्वास जताया है।
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उन्होंने कहा कि 130 करोड़ भारतीयों ने पहले से भी मजबूत सरकार बनाई है। ये अपने आप में बहुत बड़ी घटना है। तीन दशक बाद पहली बार लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है। 1971 के बाद देश ने पहली बार एक सरकार को प्रो इंकम्बेंसी जनादेश दिया है। ये जीत सच्चाई की जीत है, भारत के लोकतंत्र की जीत है।
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पीएम ने कहा कि न्यू इंडिया की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ये जनादेश मिला है। जो पूरे विश्व के साथ हमारे संबंधों को नई ऊर्जा देगा। उन्होंने अपने विकास के मंत्र को दोहराते हुए ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के जिस मंत्र पर हम चल रहे हैं, वो भारत पर दुनिया के विश्वास को भी मजबूत करेगा।
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जापान और भारत की दोस्ती का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब दुनिया के साथ भारत के रिश्तों की बात आती है, तो जापान का उसमें एक अहम स्थान है। ये रिश्ते आज के नहीं हैं, बल्कि सदियों के हैं। इनके मूल में आत्मीयता है, सद्भावना है, एक दूसरे की संस्कृति और सभ्यता के लिए सम्मान है। पीएम मोदी ने कहा कि लगभग दो दशक पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और (जापान के पूर्व प्रधानमंत्री) योशिरो मोरी ने मिलकर हमारे रिश्तों को ग्लोबल पार्टनरशिप का रूप दिया था।2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद, मुझे मेरे मित्र प्रधानमंत्री शिजो आबे के साथ मिलकर इस दोस्ती को मजबूत करने का मौका मिला।
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इस दौरान गांधी जी के तीन बंदरों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि गांधी जी की एक सीख बचपन से हम लोग सुनते आए हैं और वो सीख थी 'बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो'। भारत का बच्चा-बच्चा इसे भली- भांति जानता है, लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता है कि जिन तीन बंदरों को इस संदेश के लिए बापू ने चुना उनका जन्मदाता 70वीं सदी का जापान है।
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पीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री पीएम आबे को दिल्ली के अलावा अहमदाबाद और वाराणसी ले जाने का सौभाग्य मुझे मिला। पीएम आबे मेरे संसदीय क्षेत्र और दुनिया की सबसे पुरानी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नगरी में से एक काशी में गंगा आरती में शामिल हुए। उनकी ये तस्वीरें भी हर भारतीय के मन में बस गई हैं।
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उन्होंने कहा कि डिजिटल लिटरेसी आज बहुत तेजी से बढ़ रही है। डिजिटल ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड स्तर पर है, इनोवेशन और इन्क्यूबेशन के लिए एक बहुत बड़ा इंफ्रास्ट्रेक्चर तैयार हो रहा है। इसी के बल पर आने वाले 5 वर्ष में 50 हजार स्टार्टअप का इको सिस्टम भारत को बनाने का लक्ष्य हमने रखा है। भारत की 130 करोड़ जनता के जीवन को आसान और सुरक्षित बनाने के लिए सस्ती और प्रभावी स्पेस टेक्नोलॉजी हासिल करना हमारा लक्ष्य है। मुझे खुशी है कि सफलता के साथ हम आगे बढ़ पा रहे हैं।
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भारत और जापान की बोलचाल के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारे बोलचाल के भी कुछ सूत्र हैं, जो हमें जोड़ते हैं। जिसे भारत में 'ध्यान' कहा जाता है, उसे जापान में 'जेन' कहा जाता है और जिसे भारत में 'सेवा' कहा जाता है, उसे जापान में भी 'सेवा' कहा जाता है।
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पीएम ने कहा कि अक्सर ये कहा जाता था- 'स्काई द लिमिट' किसी जमाने में ठीक था, लेकिन भारत इस लिमिट से आगे जाकर स्पेस को गंभीरता से एक्सप्रोलर कर रहा है।
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बता दें कि इस संबोधन से पहले जापान पहुंचे पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री शिंजो आबे से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों के बीच मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेलवे की प्रगति पर चर्चा हुई। साथ ही, शिंजो आबे ने चुनावों में भारी जीत के लिए एक बार फिर पीएम मोदी को बधाई दी।