नई दिल्ली: सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी विश्ननाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन का मुहूर्त दोपहर 1 बजे से 1.30 बजे के बीच का है.  पीएम मोदी जल मार्ग से ललिता घाट तक आएंगे.  ललिता घाट से गंगा जल लेकर वो मंदिर परिसर में आएंगे.  पूजा के लिए देशभर की प्रमुख नदियों का जल मंगाया गया है. इन पवित्र नदियों के जल के साथ...पूजन विधि सम्पन्न होगी. 


कॉरिडोर के उद्घाटन के मौके पर इस भव्य आयोजन के लिए सभी बारह द्वादश ज्योतिर्लिंग के अर्चक को न्योता भेजा गया है. सभी बारह द्वादश ज्योतिर्लिंग के अर्चक को न्योता भेजा गया है. चारों पीठ के पीठाधीश्वर और धर्म आचार्य भी मौजूद रहेंगे.


कहते हैं कि बरसों पहले काशी में मंदिरों का जो जीर्णोद्धार अहिल्याबाई ने कराया था. उसके बाद ऐसा पहली बार इस स्तर पर जीर्णोद्धार का काम हो रहा है. काशी वि‍द्वत परि‍षद के महामंत्री रामनारायण द्वि‍वेदी ने कहा, ''अहिल्याबाई ने मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य कराया था लेकिन उस वक्त भी महज मंदिर के गर्भ गृह और उसके आसपास ही निर्माण हुआ था. इस बार पीएम मोदी ने 2014 में जो संकल्प लिया था उसकी सिद्धि अब पूरी हो रही है.''


उद्घाटन से पहले मंदिर परिसर को ख़ास ढंग से सजाया-संवारा जा रहा है. इस पूरे कॉरिडोर और काशी विश्वनाथ मंदिर के भीतर इस वक्त जैसी रंगत नजर आ रही है वो अभूतपूर्व है. 


काशी विश्ननाथ कॉरिडोर में क्या है खास?
गंगा के घाट से लेकर मंदिर के गर्भगृह तक इस तरह पूरे परिसर को विकसित किया गया है. मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर...मंदिर परिसर के अंदर...जो कुछ भी बनाया जा रहा है, वो भव्य है. 


काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में कुल 24 भवन बनाए जा रहे हैं. इस परिसर में मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, सिटी म्यूज़ियम, वाराणसी गैलरी, यात्री सुविधा केंद्र, आध्यात्मिक पुस्तक केन्द्र, पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक भवन, जलपान केन्द्र, अन्न क्षेत्र और दुकानें नजर आएगा. 


काशी विश्वनाथ मंदिर के चारों तरफ़ एक परिक्रमा पथ भी बनकर तैयार हो चुका है. इसके अलावा जो प्राचीन मंदिर थे, उनको भी कॉरिडोर में संरक्षित कर रखा गया है. 


काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए अधिग्रहण से लेकर निर्माण तक करीब 600 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के लिए मन्दिर के आसपास के करीब 40 हज़ार वर्गमीटर क्षेत्र का अधिग्रहण किया गया.


करीब 125 छोटे बड़े मन्दिर और विग्रहों को इस कॉरिडोर में एक श्रृंखला के तौर पर स्थापित किया गया है. यानि इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में प्राचीन चीज़ों का पूरा रखरखाव किया गया...ताकि इस भव्यता के साथ प्राचीनता कहीं खो ना जाए. 


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