उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जनपद में में विश्व हिंदू परिषद के नेता को जेल भेजने के बाद उपजे विवाद और हिन्दू संगठनों के दबाब के बाद शासन ने बुधवार रात एडीएम एफआर ऋतू पुनिया को हटाते हुए उन्हें लखनऊ मुख्यालय से अटैच कर दिया है. उनकी जगह प्रसून द्ववेदी को भेजा गया है. विहिप नेता प्रिंस गौड़ को जेल भेजने के बाद हिन्दू संगठनों ने आन्दोलन की चेतावनी दी थी.

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प्रिंस गौड़ को जमानत मिलने के साथ  ही एफआईआर में धाराएं भी बदली गयीं हैं. एडीएम को हटाने को लेकर मामला पूरी तरह सियासत में चर्चा का विषय बन चुका है वहीं प्रशासनिक हलकों में भी इस कार्रवाई पर चुप्पी है.

क्या था पूरा मामला ?

बता दें कि 8 नवंबर को एडीएम ऋतू पूनिया की शिकायत पर प्रिंस गौड़ के खिलाफ पीलीभीत कोतवाली थाने में IPC की धारा 132, 336, 338, 340, 308 और 351 सहित रंगदारी, जालसाजी और आपराधिक धमकी के आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया गया था. आरोप लगाया कि गौड़ ने धारा-80 से जुड़ी एक झूठी शिकायत के जरिए वसूली की कोशिश की और उनकी सुरक्षा को खतरा पैदा किया. विहिप ने इसे राजनीतिक साजिश'करार देते हुए कहा कि यह एडीएम के कथित कुप्रबंधन को छिपाने की कोशिश थी.

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प्रिंस गौड़ गिरफ्तारी के फौरन बाद VHP और RSS कार्यकर्ताओं ने एडीएम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. आगरा, बरेली और बृज प्रांत के कई पदाधिकारी पीलीभीत पहुंचे. प्रांतीय संगठन मंत्री राजेश सिंह के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने डीएम-एसपी को ज्ञापन देकर विरोध जताया.कार्यकर्ताओं ने एडीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, साथ ही शिकायत में लेटर पेड फर्जी होने का आरोप लगाया.

एडीएम को हटाया, जांच के आदेश

VHP और आरएसएस कार्यकर्ताओं के दबाब के बाद शासन ने एडीएम को हटाते हुए मुख्यालय से अटैच कर दिया. इसके साथ ही पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं. इस मामले की प्रशासनिक हलको में खूब चर्चा है.

उधर विश्व हिन्दू परिषद के प्रांतीय संगठन मंत्री राजेश ने कहा कि यह कार्रवाई संगठन को बदनाम करने की साजिश थी. एडीएम  के कुप्रबंधन को छिपाने के लिए झूठा केस किया गया. हम जांच चाहते हैं और सच्चाई सामने आएगी.