नई दिल्ली, एबीपी गंगा। कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार हर संभव कोशिशों में जुटी है। इसी कड़ी में नोटों से कोरोना का संक्रमण न फैले, इसके लिए सरकार बड़ा कदम उठा सकती है। इसको लेकर एसबीआई रिसर्च (SBI Research) ने सरकार को सुझाव दिया है। जिसमें उसने कहा है कि पेपर करेंसी नोटों के बजाय पॉलीमर करेंसी नोटों (Polymer Currency Notes) के इस्तेमाल की संभावना तलाशी जा सकती हैं।


बता दें कि कनाडा, यूके और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पॉलीमार करेंसी नोटों का इस्तेमाल होता है। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लेनदेन के लिए डिजिटल मोड पर स्विच करना बेहतर विकल्प होगा। हालांकि, भारत में पूरी तरह से कैशबंदी करना संभव नहीं है। इसलिए कोरोना के चलते पेपर करेंसी नोटों से अधिक सुरक्षित विकल्प की आवश्कयता है।



पॉलीमार करेंसी नोट क्या है?


सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर ये पॉलीमार करेंसी नोट क्या है?। दरअसल, ये करेंसी एक सिंथेटिक पॉलीमार से बनाई जाती है। जिसे बाइएक्सियली ओरिएंटेड पॉलीप्रोपाइलीन यानी BOPP भी कहते हैं। इसमें मेटामेरिक स्याही का इस्तेमाल होता है। पॉलीमर नोट पेपर करेंसी नोटों से ज्यादा टिकाऊ होते हैं। सबसे पहले 1988 में रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने इसका इस्तेमाल शुरू किया था। अब इसका इस्तेमाल यूनाइटेड किंगडम, नाइजीरिया, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, रोमानिया, त्रिनिदाद, टोबैगो, वियतनाम, ब्रूनेई, कनाडा, मालदीव, मॉरीशस जैसे कई देशों में होता है।


करेंसी नोटों से संक्रमण फैलने का जोखिम रोकना जरूरी


जानकारी के मुताबिक, 17 मार्च, 2020 को एसबीआई रिसर्च ने अपनी 'इकोरैप' रिपोर्ट में कहा था कि कोरोना को लेकर भले ही सावधानी बरती जाए, फिर भी भारत में नकद उपायोग से बचा नहीं जा सकता है। ये नकदी किसी वायरस को फैलाने में सबसे आसान कैरियर बन सकती है। इसलिए किसी भी वायरस के प्रसार को रोकने के लिए करेंसी नोट्स पर तत्काल कोई कदम उठाने की जरूरत है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके जैसे तमाम देशों में करेंसी के जरिए वायरस के संक्रमण को फैलने को जोखिम को रोकने के लिए पॉलीमर नोटों पर स्विच किया गया है। इसलिए भारत में भी पॉलीमर नोटों के इस्तेमाल की संभावनाओं को तलाशना चाहिए।



नोटों से भी बीमारी और संक्रमण फैलने का खतरा


दुनियाभर में बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच जेब में रखे नोटों से भी बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। ऐसे में एसबीआई रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में करेंसी नोटों और सूक्ष्मजीवों (Microorganisms) के संबंध को दर्शाने वाली कई रिसर्च रिपोर्ट्स का हवाला भी दिया। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने भी अपनी एक रिपोर्ट में ये संकेत दिया था कि सूक्ष्मजीव आसानी से करेंसी नोटों के साथ चले जाते हैं, जो कई तरह की बीमारियों और संक्रमण का कारण भी बन सकते हैं। ऐसे में सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है।


CAIT ने भी पॉलीमर नोटों के इस्तेमाल कर जोर दिया था और इसके लिए यूके, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों का उदाहरण भी दिया था। ताकि, संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। इस वजह से पॉलीमार नोटों की संभावनाओं को भारत में भी तलाशने की जरूरत है।


नोटों के इस्तेमाल के दौरान ये सावधानी जरूर बरतें




  • कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कोशिश करें कि नोटों की बजाय डिजिटल पेमेंट करें।

  • अगर नोट छूए भी हैं, तो उसके बाद अपनी आंख और मुंह पर हाथ बिना सैनीटाइज किए बिल्कुल न रखें।

  • नोटों को गिनने के लिए थूब का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें।


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