हिंदू धर्म शास्त्रों में पशु पक्षियों से संबंधित अनेक ऐसी कथाएं हैं जो उनके महत्व और विशेषताओं से जुड़ी हैं. इसमें एक नाम आता है पक्षी उल्लू का, जो माता लक्ष्मी की सवारी के रूप में पहचाना जाता है. इन दिनों भगवान शंकर के सबसे बड़े धाम श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में एक श्वेत उल्लू चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल बीते चार-पांच दिनों से बाबा विश्वनाथ के स्वर्ण शिखर पर ही शयन आरती के दौरान एक श्वेत उल्लू पहुंचता है. अब काशी से लेकर सोशल मीडिया तक इस पर अनेक बातें कही जा रहीं हैं.

 स्वर्ण शिखर पर उल्लू आना मतलब शुभ संकेत 

प्रमुख दिनों में लाखों की संख्या में शिव भक्त बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. वहीं बीते चार-पांच दिनों से बाबा विश्वनाथ के प्रमुख स्वर्ण शिखर पर ही एक श्वेत उल्लू शयन आरती के दौरान देखा जा रहा है. इसकी तस्वीर भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है.

एबीपी न्यूज ने मंदिर परिसर में पहुंचकर जब इस मामले को लेकर शास्त्रीय नित्यानंद तिवारी से बातचीत की तो उन्होंने इस मामले पर सहमति जताते हुए कहा कि - हां यह सच है, शयन आरती के दौरान एक श्वेत उल्लू देखा जा रहा है और इसका पौराणिक महत्व भी है.

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दरअसल उल्लू माता लक्ष्मी की सवारी के रूप में पहचाना जाता है और यह समृद्धि और ऊर्जा का सूचक है. ऐसे में शयन आरती के दौरान इस प्रकार से उल्लू का मौजूद रहना शुभ संकेत है और आने वाले समय में काशी सहित संपूर्ण देश के लिए समृद्धि और सफलताओं की ओर संकेत दे रहा है. वहीं इस विषय पर मंदिर परिसर से जुड़े अन्य लोगों का कहना है कि पूर्व में उसी जगह पर कबूतर देखा जाता था, लेकिन अब बीते चार-पांच दिनों से आरती के दौरान श्वेत उल्लू दिखाई दे रहा है.

 सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय 

बाबा विश्वनाथ के स्वर्ण शिखर पर दिखाई दे रहे उल्लू की तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. काशी के विद्वान इसे शुभ संकेत के रूप में देख रहे हैं. वहीं इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहीं है जिसको लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है.