पिछले कुछ दिनों की भारी बारिश और ओखला बैराज से छोड़े गए पानी ने यमुना के जलस्तर को बढ़ा दिया है. गुरुवार को बैराज का जलस्तर अपस्ट्रीम पर 198.40 मीटर और डाउनस्ट्रीम पर 198.25 मीटर दर्ज किया गया, जबकि खतरे का स्तर 200.60 मीटर है. जलस्तर में बढ़ोतरी का सीधा असर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के डूब क्षेत्रों की खेती पर पड़ रहा है. हजारों बीघा फसल पानी में डूब चुकी है, जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है और सब्जियों की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं.
नोएडा के किसान करतार सिंह ने बताया कि यमुना के बढ़ते जलस्तर ने उनकी और अन्य किसानों की कमर तोड़ दी है. उनके अनुसार, लगभग 70 प्रतिशत सब्जी की फसल पूरी तरह खराब हो चुकी है, जबकि धान की फसल में भी 50 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है. इसके अलावा पशुओं के चारे की लगभग 90 प्रतिशत फसल जलमग्न हो गई है. यमुना किनारे के खेतों में बड़े पैमाने पर लौकी, तोरी, परमल और भिंडी जैसी सब्जियां उगाई जाती हैं. लेकिन जलभराव ने इन फसलों को बर्बाद कर दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यमुना का जलस्तर जल्द नियंत्रित नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में सब्जियों के दाम और बढ़ सकते हैं. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति और उपभोक्ताओं की रसोई दोनों पर संकट गहराएगा.
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मंडियों में महंगाई की मार
फसलों की बर्बादी का सीधा असर स्थानीय मंडियों में देखने को मिल रहा है. दादरी की नवीन सब्जी मंडी के आढ़ती सोनू सैनी के अनुसार, सब्जियों के दामों में 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने बताया कि सामान्य दिनों में 65 रुपये किलो बिकने वाला परमल अब 80 से 85 रुपये किलो में बिक रहा है. वहीं लौकी, तोरी और भिंडी जो पहले 30 से 40 रुपये किलो में मिलती थीं, अब 40 से 45 रुपये किलो तक पहुंच गई हैं.
दिल्ली की थालियों पर भी असर
दादरी मंडी से बड़ी मात्रा में सब्जी दिल्ली के आनंद विहार समेत कई बाजारों में सप्लाई की जाती है. लेकिन जलभराव के कारण किसानों द्वारा कम सब्जी लाने से आपूर्ति प्रभावित हो रही है. इसका असर सीधे दिल्ली के उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है. सब्जियों की कम उपलब्धता ने दिल्ली-एनसीआर में महंगाई को और बढ़ा दिया है, जिससे आम आदमी की जेब पर बोझ और भारी हो गया है.