नोएडा, एबीपी गंगा। एक तरफ कोरोना मौत बनकर मंडरा रहा है. जितनी मौतें कोरोना से नहीं हो रही, उससे ज़्यादा मौतें कोरोना की वजह से पैदा हुए हालातों से हो रही हैं. गरीब तबका खुदकुशी करने पर मजबूर है. नोएडा में अप्रैल से लेकर अगस्त तक करीब 152 मौत हुई हैं जिनमें से कोविड-19 के कारण सिर्फ 46 लोगों की जान गई है.


दरअसल, नोएडा को उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाता है लेकिन आज ये सुसाईड हब बन चुका है. कोरोना काल में लोगों का रोजगार छिन गया. नौकरी, दिहाड़ी- मजदूर और रेहड़ी-पटरी लगाने वाले लोगों पर कोरोना का सबसे ज़्यादा असर पड़ा है. इसी वजह से नोएडा में पिछले 5 माह में 152 के करीब खुदकुशी के मामले सामने आए हैं.


कुछ ऐसा है आंकड़ा
नोएडा में अप्रैल में खुदकुशी के 25, मई में 31, जून में 34 मामले सामने आए हैं. वहीं, जुलाई में खुदकुशी के 30 तो अगस्त में 26 मामले सामने आए हैं. बात करें सितंबर की तो अभी 4 सितंबर तक 5 लोग खुदकुशी कर चुके हैं. ज्यादातर मामलों में खुदकुशी की वजह रोजगार का नहीं होना था. इसके अलावा कुछ लोगों ने इसीलिए खुदकुशी की क्योंकि वे लॉकडाउन में अकेलेपन में अवसाद का शिकार हो गए.


लोगों से अपील अवसाद को न होने दें हावी
ज़िले के हालात खुदकुशी की वजह से बिगड़ते जा रहे हैं लेकिन ऐसे मौकों पर जनप्रतिनिधियों ने भी अपनी आंखें मूंद ली हैं. डॉक्टरों की मानें तो लॉकडाउन में अकेलापन, आर्थिक तंगी, रोजगार न मिलना खुदकुशी के बढ़ते मामलों की मुख्य वजह है. वहीं, पुलिस भी खुदकुशी के मामलों कुछ खास नहीं कर पा रही है. पुलिस अफसर सोसायटियों और मोहल्लों में जाकर लोगों से बात तो कर रहे हैं लेकिन उनका भी मानना है कि हर परिवार के पास पुलिस नहीं पहुंच सकती. इसीलिए अफसर विभिन्न जनसंपर्क माध्यमों से लोगों से अवसाद से दूर रहने की अपील कर रहे हैं।


ये भी पढ़ेंः


उत्तराखंडः 70 साल की उम्र में भी जागरुकता की अलख जगाए हैं ये पूर्व प्रोफेसर, अब सोशल मीडिया को बनाया सहारा

सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद चंद्रनाथ सिंह का निधन, अखिलेश यादव ने जताया शोक