दिल्ली-एनसीआर समेत नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वायु प्रदूषण लगातार गंभीर होता जा रहा है. हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब यहां की हवा सांस लेने लायक नहीं रह गई है. बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रशासन ने ग्रैप-4 (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) लागू किया था, लेकिन जमीनी स्तर पर इसके असर बेहद सीमित नजर आ रहे हैं. ग्रेटर नोएडा में कई इलाकों में हालात जस के तस बने हुए हैं और प्रदूषण खुलेआम लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहा है.

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वहीं ग्रेटर नोएडा की 130 मीटर चौड़ी सड़क, खासकर पैरामाउंट गोल्फ फोरेस्ट, दनकौर दादरी, जेवर, नोएडा वेस्ट, नोएडा सेक्टर 150 के आसपास का इलाका, प्रदूषण की भयावह तस्वीर पेश कर रहा है. यहां दिनभर वाहनों की आवाजाही के साथ भारी मात्रा में धूल उड़ती देखी जा सकती है. सड़क पर चलते वाहनों से धूल के गुबार उठ रहे हैं, हालात यह हैं कि आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ और खांसी जैसी समस्याएं आम हो गई हैं.

प्रदूषण रोकने के लिए नहीं दिखाई दी विभागीय टीम

वहीं सबसे चिंताजनक बात यह है कि मौके पर न तो प्रदूषण नियंत्रण विभाग की कोई टीम दिखाई दे रही है और न ही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कोई सक्रिय कार्रवाई नजर आती है. सड़कों पर पानी का छिड़काव या धूल रोकने के लिए स्मॉग गन का इस्तेमाल कहीं भी होता नहीं दिख रहा है. इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या प्रदूषण कम करने की कवायद सिर्फ कागजों तक ही सीमित है.

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सड़कों पर उड़ती धूल लापरवाही का इशारा

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण तथा प्रदूषण विभाग द्वारा कई टीमों के गठन की बात कही गई थी, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग दिखाई दे रही है. ग्रेटर नोएडा की सड़कों पर उड़ती धूल और बदहाल व्यवस्था साफ तौर पर प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा कर रही है. अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में प्रदूषण का संकट और गहराने की आशंका है.