UP News: यूपी के कानपुर नगर, कानपुर देहात और फतेहपुर जिलों में क्रोमियम से दूषित भूजल के कारण लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. इसको लेकर एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार से नाराजगी जताई है. अब इस गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संकट की जांच को लेकर एनजीटी ने बड़ा कदम उठाते हुए एम्स दिल्ली को यह जिम्मेदारी दी है. एम्स के स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम न केवल प्रभावित इलाको का दौरा करेगी, बल्कि वहां रह रहे लोगों के ब्लड सैंपल लेकर जांच भी करेगी.
एनजीटी ने अपने आदेश में साफ किया कि अब तक यूपी सरकार की ओर से इस मामले में उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं है, और ना ही यूपी सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. यूपी सरकार के इसी रवैया से नाराज होकर एनजीटी ने इस मामले में जांच को लेकर एम्स को मामले में पक्षकार बनाते हुए जांच के लिए कहा है. साथ ही एनजीटी ने एम्स से 8 हफ्ते में इस पूरे मामले की डिटेल रिपोर्ट भी मांगी है.
132 नमूनों में क्रोमियम की उपस्थिति
इस मामले में एनजीटी में एमिकस क्यूरी कात्यायनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जाजमऊ, राखी मंडी, पनकी और रूमा जैसे इलाकों के साथ-साथ रानिया, फतेहपुर के गोधरौली, आशापुर और बनियाखेड़ा गांवों के लोगों के ब्लड में भारी मात्रा में क्रोमियम और मरकरी की पाई मिली है. वहीं हेल्थ डिपार्टमेंट ने अभी तक कानपुर नगर में 6757 लोगों की स्क्रीनिंग में 391 रक्त नमूने लिए गए, जिनमें 60 की रिपोर्ट मिलने पर 40 में क्रोमियम की अत्यधिक मात्रा पाई गई. कानपुर देहात में लिए गए सभी 132 नमूनों में क्रोमियम की उपस्थिति थी. फतेहपुर में 49 लोगों के सैंपलों में 47 में क्रोमियम और 3 में मरकरी की पुष्टि हुई है.
प्रभावित लोगों को दी जा रही है साधारण दवा
इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इतनी गंभीर कैमीकल के बावजूद पीड़ितों को केवल मल्टीविटामिन, गैस की दवा और लिवर एंजाइम की गोलियां दी जा रही हैं. किसी भी जगह पर चेलीशन थेरेपी या स्पेशलिस्ट डॉक्टर की टीम की कोई व्यवस्था नहीं की गई. एनजीटी ने कहा है कि यह इलाज की बजाय एक औपचारिकता भर लगती है.
एनजीटी ने जताई यूपी सरकार पर नाराजगी
एनजीटी के मामले की सुनवाई करते हुए कहा की यूपी सरकार की ओर से अब तक की गई कार्रवाई अपर्याप्त है. वहीं यूपी सरकार के द्वारा प्रभावित लोगों की मदद में यूपी सरकार की गंभीरता की भारी कमी है. एनजीटी ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा की पीड़ितों की हालत देखकर साफ है कि यह एक सामान्य प्रशासनिक मुद्दा नहीं बल्कि एक आपातकालीन हेल्थ संकट है.
एनजीटी ने 7 जुलाई को करेगा मामले की सुनवाई
एनजीटी ने फिलहाल मामले की गंभीरता को देखते हुए एम्स की टीम का गठन कर मामले की जांच का आदेश दे दिया है. एनजीटी ने एम्स दिल्ली से इस पूरे मामले की डिटेल रिपोर्ट भी तलब की है. ऐसे में देखना है कि 7 जुलाई को जब एनजीटी इस पूरे मामले की सुनवाई करेगा तो एम्स अपनी जांच रिपोर्ट में क्या कुछ खुलासा करता है.