लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को नयी 'स्टार्ट अप नीति 2020' के तहत पांच लाख रूपये तक की मार्केटिंग सहायता मिलेगी. अपर मुख्य सचिव (इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी) आलोक कुमार ने मंगलवार को बताया कि नयी स्टार्ट अप नीति 2020 अधिसूचित की गयी है. नीति जल्द लागू होगी, जिसमें पूरे प्रदेश में स्टार्ट अप और इन्क्यूबेशन सेंटर (उद्भवन केन्द्र) को बडे पैमाने पर प्रोत्साहन दिया जाएगा. नयी नीति के तहत एमएसएमई के लिए पांच लाख रूपये तक की विपणन (मार्केटिंग) सहायता मिलेगी.


उद्योग चेंबर पीएचडीसीसीआई (पीएचडी चेंबर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार आलोक कुमार चेंबर के उत्तर प्रदेश चैप्टर द्वारा आयोजित 'कोविड—19 के दौरान एमएसएमई के भविष्य परिवर्तित में सूचना प्रोद्योगिकी की भूमिका' विषय पर वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.


कुमार ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग नये स्टार्ट अप और एमएसएमई के वेंचर कैपिटल फंडिंग (वित्तपोषण) में मदद के लिए सिडबी (भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक)के साथ मिलकर कार्य कर रहा है.


इन दिनों सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाते हुए अपर मुख्य सचिव (एमएसएम, खादी एवं ग्रामेद्योग) नवनीत सहगल ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी की मदद से लगभग सभी जिला उद्योग केन्द्र आनलाइन हैं और एमएसएमई द्वारा जिला उद्योग केन्द्र को प्रपत्र भरकर आनलाइन देने के बाद 72 घंटे में ही सुविधाएं मिलती हैं.


उत्तर प्रदेश के इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री अजीत सिंह पाल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के सर्वोत्तम उपयोग से एमएसएमई देश को 'नये भारत' में परिवर्तित कर देगा और इससे भारत वैश्विक आर्थिक प्रतिस्पर्धा में एक प्रमुख देश बन जाएगा.


चेंबर के महासचिव (सेकेट्री जनरल) सौरभ सान्याल ने कहा कि चेंबर के सदस्यों की संख्या डेढ़ लाख से अधिक है और इनमें से 70 फीसदी एमएसएमई हैं.


उन्होंने कहा कि चेंबर भारत को औद्योगीकरण एवं निवेश के तरजीही एवं आदर्श गंतव्य बनाने के लिए इन उद्योगों की बेहतरी के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है. सान्याल ने संकट के समय में उद्योगों को पुनर्जीवित करने के उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना की.