India-Nepal Border Dispute: नेपाल ने एक बार फिर कालापानी क्षेत्र के तीन गांवों का दावा करके पिथौरागढ़ जिले में सीमा के मुद्दे को उठाया है, पिछले साल काठमांडू ने भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में दिखाते हुए एक नया नक्शा प्रकाशित किया था.


'नेपाल कोई दावा नहीं कर सकता है'


नेपाल के केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के महानिदेशक नेबिन लाल श्रेष्ठ ने 10 नवंबर को एक प्रमुख नेपाली दैनिक काठमनाडु पोस्ट से बात करते हुए कहा, "तीन गांव नेपाल के क्षेत्र में हैं, लेकिन वहां भारतीय सशस्त्र बलों की उपस्थिति है. सरकार के स्तर पर एक उपयुक्त समाधान होना चाहिए ताकि हमारी टीम जनसंख्या की गणना के लिए वहां जा सके. वहीं सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे जो गांव भारतीय सीमा में है वहां नेपाल कोई दावा नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा, नेपाली अधिकारियों को उनकी जनगणना के लिए तीन गांवों में जाने की अनुमति देने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि वे भारतीय गांव हैं. “वे भारतीय क्षेत्र में आते हैं और वहां के निवासी भारतीय नागरिक हैं. नेपाली अधिकारी हमारे क्षेत्र में जनगणना कैसे कर सकते हैं ?


'चंगरू और तिनकर नाम के दो गांव उनके क्षेत्र में ही आते हैं'


भारतीय सीमा के इस इलाके की कमान संभाल रहे एसएसबी कमांडेंट महेंद्र सिंह ने कहा कि एजेंसी ने हालांकि नेपाली अधिकारियों को जनगणना के लिए उनके दो सीमावर्ती गांवों तक पहुंच प्रदान की है. चंगरू और तिनकर नाम के दो गांव उनके क्षेत्र में ही आते हैं, लेकिन उनके लिए रास्ता भारतीय क्षेत्र से होकर जाता है. हमने नेपाली अधिकारियों को नियमों और विनियमों के अनुसार हमारे क्षेत्र से उनके गांवों में जाने की अनुमति दी है. हमने उनसे भी सख्ती से कहा है कि वे केवल उन्हीं क्षेत्रों में जाएं, जिनके लिए अनुमति दी गई है. उन्होंने कहा, "एसएसबी नेपाल-सशस्त्र पुलिस बल में समकक्षों के साथ समन्वय में काम करते हुए नेपाल की ओर से भारत में किसी भी अनधिकृत प्रवेश को रोकने के लिए हमेशा सतर्क रहता है.


इससे पहले भी हो चुका है दोनों देशों में इसे लेकर विवाद


कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने वाली सड़क खोलने के बाद पिछले साल भारत और नेपाल के बीच संबंधों में खटास आ गई थी. नेपाल की संसद ने 18 जून को एक संवैधानिक संशोधन पारित किया था जिसके तहत उसने सर्वसम्मति से एक नए राजनीतिक मानचित्र का समर्थन करने के लिए मतदान किया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल के हिस्से के रूप में दिखाया गया था. इसके बाद दोनों देशों में इसे लेकर संबंधों पर असर पड़ा था.


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