Nainital High Court On UCC: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू होने के बाद इसे लेकर कानूनी और सामाजिक बहस तेज हो गई है. अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी के भाई अलमसुद्दीन और भीमताल निवासी सुरेश सिंह नेगी ने यूसीसी के प्रावधानों को चुनौती देते हुए अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं. नैनीताल हाईकोर्ट ने बुधवार को इन याचिकाओं पर सुनवाई की और उत्तराखंड सरकार को अगले 6 हफ्तों में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

याचिकाकर्ताओं ने यूसीसी के तहत लिव-इन-रिलेशनशिप से जुड़े प्रावधानों को विशेष रूप से चुनौती दी है. इसके अलावा, याचिका में दावा किया गया है कि मुस्लिम, पारसी और अन्य समुदायों की पारंपरिक वैवाहिक व्यवस्थाओं को नजरअंदाज किया गया है और यह उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से छह हफ्तों के भीतर विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.

यूसीसी के प्रावधान धार्मिक परंपराओं के खिलाफ- याचिकाकर्तायाचिकाकर्ताओं का कहना है कि यूसीसी के तहत बनाए गए कुछ प्रावधान व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक परंपराओं के खिलाफ हैं. उनका मुख्य तर्क यह है कि लिव-इन-रिलेशनशिप को लेकर बनाए गए सख्त नियम व्यक्तिगत अधिकारों का हनन करते हैं और यह संविधान में दिए गए व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समानता के अधिकारों के विपरीत है.

उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा "जब भी कोई नया कानून लागू किया जाता है, तो उसके शुरुआती चरण में कुछ विवाद और विरोध होते हैं. यह स्वाभाविक प्रक्रिया है. नैनीताल हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की गई है, उस पर सरकार पूरी गंभीरता से विचार करेगी. सरकार की मंशा बहुत स्पष्ट है और हमने देश में ऐतिहासिक रूप से पहला कदम उठाया है. यदि किसी विशेष प्रावधान को लेकर कोई गंभीर आपत्ति सामने आती है, तो उस पर विचार किया जाएगा. उत्तराखंड में लागू यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने से जुड़े समान नागरिक कानूनों को लागू किया गया है. इसका उद्देश्य सभी धर्मों और समुदायों के लिए समान पारिवारिक कानून व्यवस्था लागू करना है.

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