पश्चिमी उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब राज्य महिला आयोग की टीम ने रविवार को बिजनौर जनपद के चांदपुर क्षेत्र में एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया. मुजफ्फरनगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. सुनील तेवतिया को कथित तौर पर एक निजी नर्सिंग होम में अवैध रूप से क्लिनिक चलाते हुए पकड़ा गया.

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राज्य महिला आयोग की सदस्य संगीता जैन के नेतृत्व में टीम दोपहर लगभग सवा बजे चांदपुर स्थित जनजीवन नर्सिंग होम पहुंची. टीम के पास शिकायत थी कि डॉ. तेवतिया अपनी सरकारी छुट्टी के दिन यहां आकर मरीजों को देखते हैं और उनसे परामर्श शुल्क लेते हैं, जो सेवा नियमों का उल्लंघन है. जब टीम ने नर्सिंग होम में प्रवेश किया, तो डॉ. तेवतिया अपने चेंबर में मौजूद पाए गए. उनके चेंबर के बाहर उनका नामपट्ट (Nameplate) भी लगा था.

टॉयलेट में छिपने का नाटकीय घटनाक्रम

टीम को देखते ही स्थिति नाटकीय हो गई. सूत्रों के अनुसार, डॉ. तेवतिया अचानक अपनी सीट से उठे और अटैच्ड टॉयलेट में चले गए, जिसे उन्होंने अंदर से बंद कर लिया. पुलिस और आयोग के सदस्यों द्वारा बार-बार दरवाजा खटखटाने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला.

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करीब पांच मिनट के इंतजार के बाद, जब पुलिस ने दरवाजा तोड़ने की चेतावनी दी, तब जाकर डॉ. तेवतिया बाहर निकले. बाहर निकलते ही वह काफी घबराए हुए दिखाई दिए. चांदपुर थाना प्रभारी ने भी इस दौरान सवाल उठाया कि यदि कोई गलत काम नहीं हो रहा था, तो अधिकारी टीम को देखकर टॉयलेट में क्यों भागे?

दस्तावेज़ बरामद और आरोप

राज्य महिला आयोग की टीम ने डॉ. तेवतिया के चेंबर से परामर्श पर्चियों (Consultation Slips) सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ जब्त किए हैं. आयोग की सदस्य संगीता जैन ने दावा किया कि ये दस्तावेज़ आरोपों के समर्थन में पुख्ता सबूत हैं.

जैन ने यह भी आरोप लगाया कि डॉ. तेवतिया का स्थानीय पैथोलॉजी लैब से 'टाई-अप' है, जहां वह मरीजों को टेस्ट के लिए भेजते हैं. साथ ही, दवाएं भी नर्सिंग होम से ही दी जा रही थीं.

सीएमओ का बचाव

हालांकि, डॉ. सुनील तेवतिया ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने सफाई दी कि वह केवल अपनी पत्नी से मिलने आए थे, जो नर्सिंग होम में मौजूद थीं, और टॉयलेट जाने के लिए ही वे अंदर गए थे. उनकी पत्नी ने भी बयान में यही बात दोहराई है.

उच्च-स्तरीय रिपोर्ट

राज्य महिला आयोग ने इस पूरे गंभीर प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को भेजने का फैसला किया है. इसके अलावा, यह रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भी भेजी जाएगी, ताकि डॉ. तेवतिया के खिलाफ प्रशासनिक और विभागीय कार्रवाई की जा सके.

इस घटना से जुड़े वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिसने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य प्रशासन पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.