मुरादाबाद में डॉक्टरों की नेम प्लेट को लेकर शुरू हुआ विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. विश्व हिंदू परिषद द्वारा उठाए गए सवालों पर अब पूर्व सपा सांसद और वरिष्ठ नेता डॉ. एसटी हसन ने तीखा पलटवार किया है. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद का काम सिर्फ हिंदू-मुस्लिम विवाद को उकसाना है और हर मुद्दे में सांप्रदायिक एंगल ढूंढकर माहौल खराब करना उनका उद्देश्य बन चुका है.

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डॉ. हसन ने कहा कि डॉक्टर का सबसे पहला धर्म इंसानियत है  मरीज की जान बचाना. उन्होंने स्पष्ट कहा कि इलाज के दौरान डॉक्टर कभी यह नहीं देखता कि मरीज हिंदू है या मुसलमान. डॉक्टर की प्राथमिक जिम्मेदारी मरीज की जान बचाना है. हम इलाज करते समय सिर्फ रोग देखते हैं धर्म नहीं. 

आरोपी डॉक्टरों को मिले कड़ी सजा- डॉ. एसटी हसन

वरिष्ठ नेता डॉ. एसटी हसन ने आगे कहा कि यदि किसी डॉक्टर पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप साबित होता है, तो उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म का हो. अगर कोई डॉक्टर ऐसा जघन्य काम करता है और अदालत में दोषी सिद्ध हो जाता है, तो उसे फांसी की सजा होनी चाहिए.

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संगठन देश में नफरत फैलाने की कर रहा कोशिश- डॉ. हसन

पूर्व सांसद ने विश्व हिंदू परिषद पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें न देश से मतलब है, न सौहार्द से. उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे संगठन देश में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी इनके कई लोग अंग्रेजों के साथ खड़े थे. डॉ. हसन ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सांप्रदायिक संगठनों की सोच हावी हो गई और हिंदू-मुसलमान डॉक्टरों के पास न जाने का फैसला करने लगे, तो स्वास्थ्य व्यवस्था बिखर जाएगी. अगर मुसलमान हिंदू डॉक्टरों के पास न जाएं और हिंदू मुस्लिम डॉक्टरों के पास न जाएं, तो सबसे ज्यादा नुकसान डॉक्टरों का ही होगा, खासकर हिंदू डॉक्टरों का है,

मुरादाबाद में मुस्लिम समुदाय से आते है 80 प्रतिशत मरीज

डॉ. एसटी हसन ने यह भी बताया कि मुरादाबाद क्षेत्र में 80 प्रतिशत मरीज मुस्लिम समुदाय से आते हैं, क्योंकि यह समुदाय आर्थिक रूप से कमजोर है और उनमें बीमारियों की संख्या भी अधिक पाई जाती है. यह गरीब कौम है, इसमें मर्ज भी अधिक हैं. ऐसे में समाज को बांटने की बजाय सौहार्द बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए.

डॉ. एसटी हसन के इस बयान ने नेम प्लेट विवाद को नया मोड़ दे दिया है. अब यह मुद्दा सिर्फ डॉक्टरों की पहचान या नेम प्लेट का नहीं, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक एकता का बन गया है.

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