भारतीय सूफी फाउंडेशन के अध्यक्ष सूफी कशिश वारसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुहर्रम और कांवड़ यात्रा को लेकर दिए गए बयान का समर्थन किया है.

सूफी कशिश वारसी ने ऊंचे ताजिया बनाने की परंपरा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे हुसैनियत (इमाम हुसैन की शिक्षाओं) का क्या प्रमाण मिलता है? उन्होंने जोर देकर कहा कि इस्लाम अमन, मोहब्बत और भाईचारे का मजहब है, और ऊंचे ताजिया बनाने से पेड़ कटना, बिजली के तार टूटना या किसी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना इसकी भावना के खिलाफ है. 

सूफी कशिश वारसी ने कहा कि ऊंचा ताजिया बनाने से कौन सी हुसैनियत झलकती है? क्या इसके लिए पेड़ काटे जाएं, तार टूटें, और लोगों की जान जाए? इस साल बिजली के तारों से टकराने से तीन लोगों की मौत हुई, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक  ताजिया 10 फीट से नीचे ही होने चाहिए, जिसमें केवल इमाम हुसैन के रोए के नक्शे बनाए जाएं. वारसी ने सुझाव दिया कि गम-ए-हुसैन मनाने के लिए लंगर और शर्बत बांटना बेहतर विकल्प है, जो इस्लाम की सच्ची भावना को दर्शाता है.

सीएम योगी के बयान का समर्थनवहीं कशिश वारसी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान को तथ्यपूर्ण बताते हुए कहा कि उनके पास खूफिया तंत्र और आंकड़े होंगे, तभी उन्होंने यह बात कही होगी. इतने बड़े पद पर बैठा व्यक्ति बिना सबूत के कुछ नहीं कहता. वारसी ने जोर देकर कहा कि सरकार की मंशा कांवड़ यात्रा और मुहर्रम को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराना है, जिससे सामाजिक सौहार्द बना रहे.

कांवड़ यात्रा में साजिश की आशंकायही नहीं कांवड़ यात्रा को लेकर वारसी ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व इस पवित्र आयोजन का दुरुपयोग कर सरकार और हिंदू धर्म को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं. उन्होंने हिंदू धर्मगुरुओं से अपील की कि वे ऐसे लोगों का चेहरा बेनकाब करें. अगर ये लोग हिंदू हैं, तो यह प्रदेश सरकार और देश के खिलाफ नाकाम साजिश है. इसका मकसद एक धर्म को बदनाम करना और अशांति फैलाना है.

मुहर्रम और कांवड़ यात्रा दोनों ही आस्था के प्रतीक

कशिश वारसी ने कहा कि मुहर्रम और कांवड़ यात्रा दोनों ही आस्था के प्रतीक हैं, लेकिन इन्हें शांति और भाईचारे के साथ मनाना चाहिए. वारसी ने सरकार की गाइडलाइन का पालन करने की अपील की, ताकि भविष्य में किसी तरह की दुर्घटना से बचा जा सके.