ST Hasan On Amritpal Singh: अग्निवीर अमृतपाल सिंह को सैन्य या राजकीय-सम्मान के साथ विदाई न देने पर विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार की आलोचना की है. सपा चीफ अखिलेश यादव के बाद सपा सांसद एसटी हसन ने भी इस मामले को लेकर केंद्र पर हमला बोला है. एसटी हसन ने रविवार (15 अक्टूबर) को कहा कि ये बहुत ही दुख की बात है कि ये घटना भारत के अग्निवीर की शहादत पर घटी. वह पंजाब के मानसा जिले से थे.


उन्होंने कहा कि अमृतपाल पाल सिंह केवल 19 वर्ष के थे और दिसंबर 2022 में अग्निवीर में भर्ती हुए थे. उनकी ड्यूटी जम्मू-कश्मीर में थी. दुर्भाग्यवश, इस बुधवार को पुंछ (जम्मू-कश्मीर) में एलओसी के पास ड्यूटी के दौरान वह शहीद हो गए. यह दुखद है कि उनके शव को उनके परिवार वाले सेना के वाहन से नहीं बल्कि निजी एंबुलेंस से गांव लाए थे. 


अग्निवीर स्कीम को लेकर की आलोचना


सपा सांसद ने आरोप लगाया कि उनके दाह संस्कार के समय सेना की कोई इकाई मौजूद नहीं थी और उन्हें सेना का कोई गार्ड ऑफ ऑनर भी नहीं दिया गया. ग्रामीणों के अनुरोध पर स्थानीय पुलिस ने हमारे बहादुर जवान को गार्ड ऑफ ऑनर दिया. लोगों को अब पता चला कि ये सब मोदी सरकार की नई अग्निवीर नीति के कारण है. यही कारण है कि सेना की कोई भी इकाई उनके पार्थिव शरीर को गांव नहीं लायी और न ही सेना का कोई गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. 


"हम सबको नाज होना चाहिए"


मुरादाबाद के सांसद डॉक्टर एसटी हसन ने कहा कि सिर्फ इस वजह से उनको शहीद का दर्जा नहीं दिया गया क्योंकि वह 4 साल के लिए भर्ती हुए थे. हम तो पहले से ही कह रहे थे कि फुल फ्लैश नौकरी मिलनी चाहिए. 4 साल की नौकरी नहीं. आखिर ये क्या संदेश देना चाहते हैं. बड़ी शर्म की बात है कि शहीद का दर्जा नहीं दिया गया. बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोग, अग्निवीर योद्धा को लेकर अपनी कमर थपथपाने वाले लोग आज क्यों खामोश हैं. क्यों नौजवान की शहादत को सलाम नहीं करते. सामने से गोली खाने वाले शहीद की बहादुरी पर हम सबको नाज होना चाहिए. 


रक्षा मंत्रालय ने क्या कुछ कहा?


रक्षा मंत्रालय के एक बयान में इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा गया कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह की राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान खुद गोली लगने से मौत हो गई. इसमें कहा गया है कि अधिक विवरण सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी जारी है. मौत का कारण खुद को पहुंचाई गई चोट है, मौजूदा नीति के अनुसार कोई गार्ड ऑफ ऑनर या सैन्य अंतिम संस्कार प्रदान नहीं किया गया था.


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