UP News: वक्फ संशोधन बिल का रालोद चीफ जयंत चौधरी ने समर्थन किया है, इसके बाद रालोद में नाराजगी दिख रही है. रालोद चीफ जयंत चौधरी ने वक्फ बिल का समर्थन किया तो हापुड़ के मोहम्मद जकी ने नाराजगी जताते हुए रालोद से इस्तीफा दे दिया.

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मोहम्मद जकी ने रालोद के प्रदेश अध्यक्ष को भेजे गए लेटर में कहा कि यह निर्णय मेरे लिए आसान नहीं था लेकिन पार्टी के नेतृत्व और नीतियों में जिस तरह से मुसलमानों व अन्य वचिंत समुदायों की उपेक्षा की गई है उसके बाद यह मेरा नैतिक कर्तव्य बन गया है.

उन्होंने कहा कि पार्टी का दावा था कि सभी समुदाय को साथ लेकर चलेगी व ईमानदार व पारदर्शी राजनीति करेगी लेकिन आज पार्टी सत्ता के मोह में सबकुछ भूल चुकी है. मुसलमानों के मुद्दे पर आप की बेरूखी ने मुझे और मेरे समुदाय को बार बार ठगा हुआ महसूस कराया. पार्टी का नेतृत्व अब जनता के बजाए अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं को प्राथमिकता दे रहा है.

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मोहम्मद जाकी ने अपने पत्र में उन 232 विपक्षी सांसदों का धन्यवाद किया जिन्होंने वक्फ विधेयक के खिलाफ मतदान किया और सरकार की “तानाशाही” के खिलाफ खड़े रहे. उन्होंने कहा कि जब सरकार आधी रात को अपने ही मुस्लिम नागरिकों को अपमानित करने के लिए नए कानून ला रही थी, तब 232 विपक्षी सांसद, जिनमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, दलित सभी शामिल थे, एकजुट होकर सरकार का विरोध कर रहे थे.

रालोद के प्रदेश अध्यक्ष राम आशीष राय को संबोधित इस पत्र में मोहम्मद जाकी ने कहा कि पार्टी की नीतियों और नेतृत्व से निराश होकर उन्होंने यह कठिन निर्णय लिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी अब सत्ता की लालसा में अपने मूल सिद्धांतों से भटक गई है और मुस्लिम समुदाय के मुद्दों की अनदेखी कर रही है.

रालोद के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है यह इस्तीफा

यह इस्तीफा रालोद के लिए एक महत्वपूर्ण झटका माना जा रहा है, खासकर तब जब पार्टी आगामी चुनावों की तैयारी कर रही है. मोहम्मद जाकी के इस्तीफे से पार्टी की मुस्लिम समुदाय के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े हो गए हैं और इससे पार्टी की छवि पर असर पड़ सकता है.

वक्फ बिल मुस्लिम समुदाय के लिए बना हुआ है विवाद का विषय

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 जिसे हाल ही में संसद में पारित किया गया है, मुस्लिम समुदाय के लिए विवाद का विषय बना हुआ है. इस विधेयक में वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने और सरकारी निगरानी बढ़ाने का प्रावधान है. समर्थकों का कहना है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार कम होगा, जबकि आलोचकों का मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और धार्मिक संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाता है.

राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने जेपीसी रिपोर्ट को पक्षपात बताया

विपक्षी दलों ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है. राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को “पक्षपाती” और “एकतरफा” बताते हुए वाकआउट किया. उनका आरोप था कि समिति में विपक्षी सदस्यों के असहमति नोटों को शामिल नहीं किया गया.

लखनऊ में CM योगी ने अनंत नगर आवासीय योजना का किया शुभारंभ, फ्लैट्स के लिए रजिस्ट्रेशन हुआ शुरू