उत्तराखंड के सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने मंगलवार (21 अक्टूबर 2025) को राजधानी देहरादून के गुनियाल गांव स्थित निर्माणाधीन सैन्य धाम का निरीक्षण किया. गणेश जोशी ने निर्माण कार्य की प्रगति की विस्तार से जानकारी ली. साथ ही अधिकारियों को गुणवत्ता के साथ निर्धारित समय सीमा में सभी कार्य पूरे करने के निर्देश दिए.

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मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि आगामी 09 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित उत्तराखंड दौरे के दौरान सैन्य धाम के लोकार्पण का प्रस्ताव है. उन्होंने कहा कि यह धाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार के संकल्प का प्रतिफल है, जिसका उद्देश्य उत्तराखंड के वीर सैनिकों के शौर्य, त्याग और बलिदान को स्थायी स्मारक के रूप में संजोना है.

'सैन्य भूमि' के रूप में जाना जाता है उत्तराखंड'

गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड को 'सैन्य भूमि' के रूप में जाना जाता है, जहां का हर घर देश के लिए बलिदान देने को तत्पर रहता है. उन्होंने बताया कि सैन्य धाम में एक आधुनिक म्यूजियम, थियेटर और लाइट एंड साउंड शो की सुविधा होगी,जिसके माध्यम से राज्य और देशभर के शहीदों की वीरता की गाथाएं और जीवन यात्रा दर्शाई जाएंगी,धाम को इस तरह विकसित किया जा रहा है कि यह देशभर के पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणास्रोत स्थल बन सके.

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'स्मारक नहीं, जीवंत प्रेरणा स्थल बने धाम'

मंत्री ने बताया कि भारत की सेना में दो सैनिकों की पूजा की जाती है, बाबा हरभजन सिंह और बाबा जसवंत सिंह, और उनकी वीरता की स्मृतियों को भी इस धाम में स्थान दिया जाएगा, उन्होंने कहा,हमारा प्रयास है कि यह धाम केवल स्मारक नहीं बल्कि एक जीवंत प्रेरणा स्थल बने, जहां लोग हमारे वीर सपूतों के योगदान को महसूस कर सकें,

गणेश जोशी ने बताया कि सैन्य धाम में नक्षत्र वाटिका की स्थापना, स्मारक दीवार, गैलरी, वॉकवे, और हरित क्षेत्र जैसे कार्य भी अंतिम चरण में हैं. उन्होंने अधिकारियों को इन कार्यों को प्राथमिकता के साथ जल्द पूरा करने के निर्देश दिए,

'शहीदों को श्रद्धांजलि देने और उनकी गाथा जानने लोग'

मंत्री ने कहा, जब यह धाम पूर्ण रूप से तैयार हो जाएगा, तो जैसे लोग चार धाम के दर्शन करने जाते हैं, वैसे ही लोग हमारे शहीदों को श्रद्धांजलि देने और उनकी गाथा जानने के लिए सैन्य धाम अवश्य आएंगे. सैनिक कल्याण मंत्री ने कहा कि यह धाम उत्तराखंड की धरती पर देशभक्ति, शौर्य और समर्पण की भावना का प्रतीक बनकर उभरेगा और भावी पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करेगा.