Milkipur Bypoll 2025 BJP Candidate: उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने इस सीट से दलित चेहरे चंद्रभान पासवान पर दांव लगाया है जिसके बाद इस सीट पर लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गई है. बीजेपी के कदम को सपा की पीडीए की काट के तौर भी देखा जा रहा है.
बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभान पासवान पेशे से अधिवक्ता है और दो बार रुदौली से जिला पंचायत सदस्य रहे हैं. उनकी पत्नी भी जिला पंचायत सदस्य है. वो काफी समय से भाजपा के साथ जुड़े हुए है. समाजवादी पार्टी ने पहले से ही यहां सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है और अब बीजेपी ने चंद्रभान पासवान के नाम पर मुहर लगा दी है. दोनों पासी समाज से आते हैं, जिसके बाद अब मिल्कीपुर की लड़ाई पासी बनाम पासी बन गई है.
सपा के पीडीए को ध्वस्त करने की कोशिशचंद्रभान पासवान के जरिए बीजेपी ने सपा के PDA फॉर्मूले को ध्वस्त करने की कोशिश की है. दरअसल 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने जबरदस्त सोशल इंजीनियरिंग की थी, जिसके जरिए पार्टी ने ओबीसी और दलित वोटरों को अपने साथ जोड़ लिया था. जिसके दम पर बीजेपी ने केंद्र की सत्ता पर कब्जा किया. 2019 में भी बीजेपी का समीकरण हिट रहा.
साल 2024 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी के समीकरण को ध्वस्त कर दिया और पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के नारे को बुलंद करते हुए ओबीसी और दलित वोटरों में सेंध लगाने में कामयाब रहे. बीजेपी अब अखिलेश यादव को उनके ही दांव में फंसाने की कोशिश कर रही है. चंद्रभान पासवान को उम्मीदवार बनाने के पीछे यही वजह मानी जा रही है.
बीजेपी ने दिया साफ़ संदेशबीजेपी ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वो अब वो पूरी तरह से OBC और दलित वोटर्स को फिर से एकजुट कर सपा को MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण तक ही सीमित करने का प्रयास करेगी. बीजेपी प्रत्याशी को सपा के PDA फॉर्मूले की काट के तौर पर ही देखा जा रहा है. ताकि जो वोटर्स लोकसभा चुनाव में भाजपा से छिटक गए थे वो फिर से कनेक्ट हो सकें.
मिल्कीपुर में पासी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. 2022 में बीजेपी ने इस सीट से पासी समुदाय से उम्मीदवार नहीं उतारा था, जिसकी वजह से पासी समुदाय एकजुट होकर सपा के पक्ष में चला गया. लेकिन अब इस दांव के बाद जहां सवर्ण वोटर्स एकजुट होकर भाजपा के साथ होंगे तो वहीं सपा के दलित वोटरों में भी सेंध लगना तय है.