देशभर में आई लव मोहम्मद को लेकर हो रहे विरोध और विवाद पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने स्पष्ट प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद से मोहब्बत करना हर मुसलमान का ईमान और अकीदा है, लेकिन इसके साथ-साथ उनकी शिक्षाओं पर अमल करना सबसे अहम है. मौलाना रजवी ने पैगंबर की शिक्षाओं पर अमल करने और सुलह-ए-हुदैबिया जैसे ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला दिया.

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मौलाना ने कहा कि पैगंबर-ए-इस्लाम ने हमेशा अमन और शांति का पैग़ाम दिया. उन्होंने अपने विरोधियों से न टकराव किया, न विवाद, बल्कि हमेशा समझौते का रास्ता अपनाया.इसका सबसे बड़ा उदाहरण “सुलह-ए-हुदैबिया” है, जो इस्लामी इतिहास का अहम हिस्सा है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मोहब्बत का इज़हार सड़कों पर हुड़दंग मचाकर, धरना-प्रदर्शन कर, पुलिस से टकराकर या गैर-मुसलमानों से भिड़कर नहीं किया जा सकता. दुकानों में तोड़फोड़ और हिंसा करना पैगंबर-ए-इस्लाम की शिक्षा के खिलाफ है. पैगंबर ने फरमाया-अच्छा मुसलमान वही है जिसके हाथ, पैर और ज़बान से किसी को तकलीफ न पहुंचे.

पांच वक़्त की नमाज़ जरुरी

मौलाना रजवी ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद की हदीस है-‘नमाज़ मेरी आंखों की ठंडक है’. इसलिए मुसलमानों को पांच वक्त की नमाज़ पढ़नी चाहिए. इससे ही पैगंबर-ए-इस्लाम की रूह को सुकून मिलेगा, न कि बैनर या होर्डिंग्स लगाने से. उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद रहमत-उल-आलमीन हैं, यानी वे सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं, बल्कि हिंदू, सिख, ईसाई और पूरी इंसानियत के लिए रहमत बनकर आए, उनका सबसे बड़ा पैग़ाम मोहब्बत, अमन और शांति है.

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कानून हाथ में न लें मुसलमान

मौलाना ने यह भी कहा कि मोहब्बत का इज़हार करने का सबसे अच्छा तरीका सीरत-उल-नबी के जलसे करना, मस्जिदों और मदरसों में उनकी शिक्षाओं पर रोशनी डालना और खुद की व परिवार की ज़िंदगी को उनके बताए रास्ते पर चलाना है. उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि किसी भी हाल में कानून को हाथ में न लें और टकराव का रास्ता अपनाने से बचें, क्योंकि इससे खुद और परिवार दोनों मुश्किल में पड़ सकते हैं.