आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य और ईदगाह इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान का स्वागत करते हुए कहा कि देश में धार्मिक स्थलों को लेकर जो अनावश्यक विवाद खड़े किए जा रहे हैं, उन्हें खत्म होना चाहिए. 

Continues below advertisement

उन्होंने कहा कि संविधान और कानून पहले ही इस मामले में स्पष्ट दिशा-निर्देश दे चुके हैं, इसलिए अब इस विषय को बार-बार उठाने की कोई आवश्यकता नहीं है.

क्या बोले मौलाना रशीद फिरंगी 

मौलाना ने कहा कि संसद द्वारा पारित प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 में साफ तौर पर प्रावधान है कि 15 अगस्त 1947 को जिस स्थिति में धार्मिक स्थल थे, उन्हें उसी स्थिति में बरकरार रखा जाएगा. केवल अयोध्या का मामला इससे अलग रखा गया था.

Continues below advertisement

 उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले के दौरान इस कानून को बरकरार रखते हुए दोहराया था कि सभी नागरिकों को इसका पालन करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि प्लेस ऑफ वॉर्शिप एक्ट में सुप्रीम कोर्ट ने और मजबूती दी है. 

यह देश कानून और संविधान से चलता है : मौलाना रशीद फिरंगी 

मौलाना रशीद फिरंगी ने आगे कहा कि यह देश कानून और संविधान से चलता है और सभी समुदायों को इसे मानना चाहिए. 'जब संसद ने स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक स्थलों की स्थिति 1947 के अनुरूप ही बनी रहेगी और सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसकी पुष्टि कर दी है, तो फिर इस मुद्दे पर नए-नए विवाद पैदा करना सही नहीं है,' मौलाना ने कहा.

मौलाना खालिद रशीद ने यह भी कहा कि जिस तरह संघ प्रमुख मोहन भागवत ने धार्मिक स्थलों पर आगे कोई विवाद न बढ़ाने की बात कही है, वह स्वागत योग्य कदम है. उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान समाज में भाईचारे और सौहार्द को मजबूत करेंगे.

मौलाना ने राजनीतिक दलों से की यह अपील

उन्होंने राजनीतिक दलों और संगठनों से भी अपील की कि वे धार्मिक आस्थाओं को राजनीति से न जोड़ें और देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब को सुरक्षित रखने में योगदान दें. मौलाना ने कहा कि विवाद बढ़ाने से देश की एकता और सामाजिक ताना-बाना कमजोर होता है, जबकि वर्तमान समय में समाज को शांति और आपसी विश्वास की सबसे ज्यादा आवश्यकता है.