मथुरा, एबीपी गंगा। मथुरा के बहुचर्चित जवाहरबाग कांड में सीबीआई की बड़ी लापरवाही सामने आई है। तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और फरह थानाध्यक्ष संतोष यादव की हत्या के तीन आरोपियों को जमानत मिल गई है। लंबे समय के बाद भी सीबीआई द्वारा आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल न किए जाने की वजह से उन्हें जमानत मिली है। बुधवार को मथुरा जिला अदालत ने आरोपी राजेश, रामधनी, राधेश्याम को रिहा करने का आदेश सुना दिया। जिसके बाद से सीबीआई के ऊपर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बता दें कि 2 जून, 2016 को मथुरा के जवाहर बाग में एसपी सिटी ,थानाध्यक्ष फरह सहित 28 लोगों की मौत हुई थी। अवैध कब्जाधारियों पर एसपी सिटी और थानाध्यक्ष की हत्या का आरोप था। रामवृक्ष यादव नाम के शख्स ने सैकड़ों समर्थकों के साथ 300 एकड़ जमीन पर कब्जा किया था। इस मामले में आरोपी तीन लोगों की जेल में मौत हो चुकी है, जबकि दो दर्जन लोगों के रिहाई के आदेश सुनाए जा चुके हैं।
गौरतलब है कि जिन तीन लोगों को बुधावर को जमानत मिली है, उसमें राजेश और रामधनी बस्ती जिले के रहने वाले हैं, जबकि राधे श्याम रसूलाबाद का निवासी है। ये सभी 2016 से जेल में बंदे थे। करीब एक महीने पहले हाईकोर्ट से जमानत संबंधी आदेश सुनाया गया था, जिसके आधार पर एडीजे- 6 प्रभारी न्यायालय ने तीनों को जमानत दे दी है। बचाव पक्ष के वकील एलके गौतम ने बताया कि कि हत्याकांड में अभी तक करीब दो दर्जन आरोपी रिहा हो चुके हैं।
वहीं, इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव जिंदा है या मर चुका है। अब तक सीबीआई इसका भी पता नहीं लगा सकी है। रामवृक्ष यादव के खिलाफ कोर्ट का वारंट जारी है। तहसील मारपीट प्रकरण में कोर्ट में उनका नाम सुनाई देता है, लेकिन सीबीआई ने अधिकृत रूप से रामवृक्ष के बारे में अभी तक कोर्ट को कुछ नहीं बताया है। रामवृक्ष यादव का करीब एक दर्जन मुकदमों में नाम शामिल है।
यह भी पढ़ें:
अयोध्या मामले पर मानेंगे सुप्रीम कोर्ट का फैसला, कयामत तक रहेगी मस्जिद: अरशद मदनी बसपा सुप्रीमो ने 2022 के लिये कमर कसी, चुनावी समर के लिये बनाई ये रणनीति लखनऊ में इस वक्त खूब हो रही है अफगानी शेर खान की चर्चा, लंबाई देखकर हर कोई है हैरान