सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को कोलकाता रेप केस से जुड़े मामले पर सुनवाई हुई है. इस दौरान हर पक्ष की ओर से अपनी दलीलें पेश की गई है. लेकिन सुनवाई के बाद सवाल यह उठने लगा कि क्यों केंद्र सरकार, ममता बनर्जी के करीबी अफसर को हटाने पर अड़ी हुई है. इतना ही नहीं उस अफसर का जिक्र भी कोर्ट में सुनवाई के दौरान हुआ है.

दरअसल, सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ने कहा कि बंगाल में इंचार्ज डीजीपी हैं. उनके ऊपर खुद शारदा घोटाले की जांच लंबित है. इसपर बंगाल सरकार के ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि कोलकाता पुलिस डीजीपी के तहत नहीं है. सॉलिसिटर जनरल जनरल ने कहा कि ऐसे अधिकारी को हटाना चाहिए.

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यूपी से रहा है कनेक्शनइस वक्त डीजीपी राजीव कुमार हैं, जिनका कनेक्शन उत्तर प्रदेश से रहा है. उनका जन्म 1966 में उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने आईआईटी रुड़की से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की थी.  बिधाननगर पुलिस कमिश्नर रहने के साथ अलावा वह एसटीएफ के डायरेक्टर और कोलकाता पुलिस कमिश्नर के पद पर भी काम कर चुके हैं.

वह दिसंबर 2023 से ही पश्चिम बंगाल के डीजीपी हैं और भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव के दौरान मार्च 2024 में उन्हें उनके पद से हटा दिया था. गौरतलब है कि कोलकाता की घटना के बाद उनकी कार्यशैली पर एक बार फिर से सवाल उठ रहे हैं. बीते दिनों के दौरान पुलिस द्वारा समय पर एक्शन नहीं लेने के अलावा तमाम आरोप लगाए गए हैं.

अब कोलकाता केस के दौरान एफआईआर लिखने से लेकर कार्रवाई करने तक हर प्रतिक्रिया में देरी होने की वजह से डीजीपी फिर से विपक्षी दलों के निशाने पर बने हुए हैं. सीजेआई ने भी सुनवाई के दौरान सवाल किया था कि भीड़ ने आकर जब अस्पताल में तोड़फोड़ की तो पुलिस क्या कर रही थी? पुलिस का क्राइम सीन की रक्षा करना कर्तव्य है.