उत्तर प्रदेश महोबा जिले के खरेला कस्बा के कौलाहा डेरा गांव में दबंग व्यक्ति द्वारा गांव में सार्वजनिक रास्ता बंद कर दिया गया है. जिससे न सिर्फ ग्रामीण परेशान हैं, बल्कि स्कूल जाने वाले दर्जनों छात्र-छात्राएं भी प्रभावित हैं. जिसको लेकर ग्रामीण और स्कूल जाने वाले दर्जनों छात्र सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और रास्ता खुलवाने की मांग की. ग्रामीणों के मुताबिक उनके लिए वही रोजमर्रा के लिए एकमात्र रास्ता है.
कई बार अधिकारियों से गुहार लगा चुके ग्रामीण और छात्र कैमरे के सामने रने लगे, जिसके बाद वहां भीड़ लग गयी. डीएम से ग्रामीणों ने तुरंत हसतक्षेप कर रास्ता खुलवाने की मांग की है. इस घटना ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासनिक सक्रियता की भी पोल खोल दी है. फिलहाल इस मामले में अधिकारियों ने जांच कर कार्रवाई की बात कही है.
क्या है पूरा मामला ?
चरखारी ब्लॉक के खरेला कस्बा के कौलाहा डेरा निवासी ग्रामीणों ने इक्कठा होकर डीएम से गुहार लगाई है. उदयभान ने बताया कि पिछले एक वर्ष से बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत हो रही है. भानुवती ने कहा कि छोटे भाई-बहन स्कूल नहीं जा पा रहे और रोजमर्रा की जिंदगी कठिन हो गई है. कालीचरण कुशवाहा ने रोते हुए बताया कि गांव में जगह न होने के कारण उन्होंने अपने खेतों में आवास बनाया है, लेकिन अब उन्हें उस रास्ते से निकलने तक की अनुमति नहीं है.
ग्रामीणों का कहना है कि रास्ता बंद करने वाले व्यक्ति द्वारा धमकी भी दी जाती है कि अगर उन्होंने रास्ते का उपयोग किया तो उनके माता-पिता को जमीन बेचने के लिए कहा जाएगा. इससे ग्रामीण डर और चिंता में हैं. यह रास्ता उनके पूर्वजों द्वारा 1972-73 में छोड़ा गया था और यह वर्षों से सार्वजनिक मार्ग के रूप में चला आ रहा है.
लेखपाल रिपोर्ट में भी रास्ता निकला,लेकिन कब्जा कायम
ग्रामीण पहले भी थाना और तहसील में प्रार्थना पत्र देकर शिकायत कर चुके है.राजस्व टीम ने निरीक्षण किया और लेखपाल की रिपोर्ट में कहा गया कि रास्ता चकबंदी पूर्व से खुला था. लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. रास्ता बंद होने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, परिवारों को दैनिक जीवन में कठिनाई हो रही है और आवागमन के लिए उन्हें 4-5 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है. स्कूल, बाजार, अस्पताल और अन्य जरूरी स्थानों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है.
ग्रामीणों ने डीएम के सामने गुहार लगाई कि इस लंबित समस्या का शीघ्र समाधान किया जाए. उनका कहना है कि यदि रास्ता नहीं खोला गया, तो बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी, गांव के लोग असुरक्षित महसूस करेंगे और उनका रोजमर्रा का जीवन कठिनाई में फंस जाएगा. ग्रामीणों की आह और बच्चों के रोते हुए चेहरे प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं, ताकि उनके अधिकारों और जीवन की सहजता को बहाल किया जा सके.